मराठा आरक्षण : आंदोलनकारियों ने CM और डिप्टी सीएम के पोस्टरों पर कालिख पोती
ठाणे। मराठा आरक्षण को लेकर आंदोलनकारियों में गुस्सा बढ़ता जा रहा है। कुछ प्रदर्शनकारी बसों पर लगे सीएम एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के पोस्टर पर कालिख पोतते नजर आए। वीडियो ठाणे के भिवंडी का बताया जा रहा है।
महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के लिए सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग बहुत पुरानी है। साल 1997 में मराठा संघ और मराठा सेवा संघ ने सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण के लिए पहला बड़ा मराठा आंदोलन किया। प्रदर्शनकारियों ने अक्सर कहा है कि मराठा उच्च जाति के नहीं बल्कि मूल रूप से कुनबी यानी कृषि समुदाय से जुड़े थे।
मौजूदा स्थिति की बात करें तो मराठा समुदाय महाराष्ट्र की आबादी का लगभग 31 प्रतिशत है। यह एक प्रमुख जाति समूह है लेकिन फिर भी समरूप यानी एक समान नहीं है। इसमें पूर्व सामंती अभिजात वर्ग और शासकों के साथ-साथ सबसे ज्यादा वंचित किसान शामिल हैं। राज्य में अक्सर कृषि संकट, नौकरियों की कमी और सरकारों के अधूरे वादों का हवाला देते हुए समाज ने आंदोलन किये हैं।
2018 में महाराष्ट्र विधानमंडल से मराठा समुदाय के लिए शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 16% आरक्षण का प्रस्ताव वाला एक विधेयक पारित किया गया। विधेयक में मराठा समुदाय को सरकार ने सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग घोषित किया।
विधानमंडल में पारित होने के बाद मराठा आरक्षण का मामला अदालती हो गया। जून 2019 में बम्बई उच्च न्यायालय ने मराठा आरक्षण की संवैधानिकता को बरकरार रखा, लेकिन सरकार से इसे राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिश के अनुसार 16% से घटाकर 12 से 13% करने को कहा।
इस आरक्षण को बड़ा झटका तब लगा जब मई 2021 को जब सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण को असंवैधानिक ठहराया और कानून को रद्द कर दिया। अदालत ने माना कि मराठा आरक्षण 50 फीसदी सीलिंग का उल्लंघन कर दिया गया था।
साभार अमर उजाला