ध्यान आनंद की अनुपम अवस्था है जिसे प्रत्येक व्यक्ति प्राप्त कर सकता है
भारत देश योग भूमि है योग साधना कर ध्यान करना यहां की प्राचीन परंपरा रही है संपूर्ण भारतीय तत्वज्ञान और दर्शनशास्त्र योग द्वारा ब्रह्म शक्ति से तादात्म्य पाकर ध्यान अर्थात निर्विचार समाधि प्राप्त करने की कला सिखाता है। हमारे भारतीय तत्वज्ञान के चार प्रमुख मंत्र वाक्य हैं 'अहम् ब्रह्मास्मि', 'अयमात्मा ब्रह्म', 'तत्वमसि' और 'सर्वं खल्विदं ब्राह्मासि'।
परम पूज्य श्री माताजी प्रणीत सहज योग हमें ध्यान करने की कला सिखाता है। पतंजलि ऋषि कहते हैं, 'योगा: चित्तवृत्ति निरोधा:' अर्थात चित्तवृत्ति को नियंत्रित कर उन चित्तवृत्तियों को ब्रह्म शक्ति में लीन करना ही ध्यान है। सहज योग में जब साधक को आत्म साक्षात्कार प्राप्त होता है तब उस साधक के चित्त में आने वाले भूतकाल के विचार जो उसकी ईड़ा नाड़ी से आ रहे हैं और भविष्य काल के विचार जो उसकी पिंगला नाड़ी से आ रहे हैं वे सारे विचार शांत हो जाते हैं क्योंकि उसकी ये दोनों नाड़ियां मध्य सुषुम्ना नाड़ी जो रीढ़ की हड्डी के अंत:स्थित हैं जिसे ब्रह्म नाड़ी भी कहा गया है उसमें विलीन हो जाती हैं और उस साधक के पिंड में स्थित कुंडलिनी शक्ति जो प्राण शक्ति है जीवनी शक्ति है वह उर्ध्वगामी बनकर उसके ब्रह्म रंध्र को छेद कर उसे निर्विचार अवस्था प्रदान करती है यही सच्चा ज्ञान है। ध्यान में स्थित साधक उस ब्रह्म शक्ति से अद्वैत स्थापित करता है और इस प्रकार के नियमित ध्यान अभ्यास से वह धीरे-धीरे अपने सारे षडरिपुओं से छूटकर ब्रह्मानंद में लीन होता है। यह ज्ञान अनुभव एक अनुपम सुंदर अवस्था है जिसे हर कोई प्राप्त कर सकता है। महाराष्ट्र के प्रसिद्ध संत श्री ज्ञानेश्वर जी कहते हैं, 'जग ही उसकी वस्तुप्रभा' अर्थात व ब्रह्म शक्ति संपूर्ण ब्रह्मांड में विराजित है और यह भौतिक चक्र उस चैतन्य शक्ति का प्रकृटीकरण है। ऐसा होते हुए भी हम देखते हैं कि हमारा जीवन अनेक समस्याओं से भरा पड़ा है उन सारी समस्याओं से निजात पाने का एक ही उपाय है वह है उस ब्रह्म शक्ति से एकाकारिता
ध्यान की शक्ति को प्रमाणित करता है विश्व द्वारा ध्यान दिवस का आयोजन । हमें प्रण लेना चाहिए कि हम हमारा आत्म साक्षात्कार पाकर उसे ब्रह्म शक्ति से एकाकारिता स्थापित करें और भारतीय तत्व ज्ञान में वर्णित मंत्र वाक्यों को आत्मसात करें। और अपने जीवन को प्रेम, वात्सल्य, करुणा, समाधान, निर्भयता, भक्ति और समर्पण जैसी दैवीय संपदाओं सुसज्जित करें। तो आइए ज्ञान की कला सीखते हैं सहज योग के माध्यम से।
सहजयोग पूर्णतया निःशुल्क है। अधिक जानकारी टोल फ्री नंबर 18002700800 अथवा यूट्यूब चैनल लर्निंग सहजयोगा से प्राप्त कर सकते हैं।

