ध्यान हमें कठिनतम परिस्थितियों में सहज व प्रसन्न रहना सिखाता है
सहजयोग ध्यान करने की एक अर्वाचीन पद्धति है। जो आज के तनावग्रस्त जीवन में बहुत कारागर साबित हो रही है। आपको ऐसा लगेगा की योगा, ध्यान आदि बुढापे में करने की चीजें हैं परंतु ऐसा नहीं है, आज बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी तनाव में रहते हैं, कुछ न कुछ समस्याओं से घिरे रहते हैं। ऐसा नहीं है कि सहजयोग सीखने के बाद और इस ध्यान मे पारंगत होने के बाद आपके जीवन में समस्यायें नहीं आयेंगी। समर्थ रामदास महाराज कहते हैं ('मना त्वाचिरे पूर्वसंचित केले तयासारखे भोगणे प्राप्त झाले' ) जो कुछ भी शारिरिक या मानसिक भोग हैं वो आपके जीवन में रहेंगे परंतु आप अंदर से इतने शक्तिशाली बन जायेंगे कि उन सभी समास्याओं से प्रभावित न होते हुए आप आसानी से उनसे छूटकर आनंददायी जीवन व्यतीत करने लगेंगें। आपके जीवन में सकारात्मकता व प्रसन्नता का गुणांक कई गुना बढ़ जाएगा।
सहजयोग ध्यान अत्यंत सहज है। प.पूज्य श्री माताजी कहते हैं कि जो साधक अपने आत्म साक्षात्कार को सच्चे हृदय से चाहेगा उसे तत्क्षण ये प्राप्त हो जाएगा।और इसे प्राप्त करने बाद धीरे-धीरे साधक इस ध्यान की सूक्ष्मताओं को समझकर अपना जीवन सकारात्मक तरीके से बदलने के लिये सदैव प्रयासरत रहता है।
कंठोपनिषद में वर्णित है कि यह मनुष्यरूपी शरीर ग्यारह द्वारोंवाला है और ये शरीर ही उस आत्म रूपी परमेश्वर की नगरी है। वह आनंदस्वरूप परमात्मा सर्वत्र समभाव से सदा परिपूर्ण रहते हुए भी अपनी राजधानी रूपी इस मनुष्य शरीर के हृदयप्रासाद में राजा की भांति विशेष रूप से विराजित रहते हैं। इस रहस्य को समझकर जो मनुष्य इसी जन्म में इस आत्मसाक्षात्कार को पाना चाहते हैं और जो साधक इस शाश्वत सत्य को जानता है वह शोक के कारण रूप संसार बन्धन से छूटकर जन्ममृत्यु के चक्र से सदा के लिये छूट जाता है। यही ब्रम्हसाक्षात्कार है।
वर्तमान में मे इसे पाना सहज हो गया है, बस आपको अपने आत्मसाक्षात्कार की शुद्ध इच्छा कर हर दिन सुबह-शाम १० मिनट इस ध्यान में स्थित होना होता है और आपकी एकाकारिता परमात्मा से होने लगती है और जीवन में सभी प्रकार के समाधान प्राप्त हो जाते हैं।
सहजयोग से संबंधित जानकारी निम्न साधनों से प्राप्त कर सकते हैं। यह पूर्णतया निशुल्क है। टोल फ्री नं – 1800 2700 800 बेवसाइट - sahajayoga.org.in