किसानों की समस्याओं पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात: भावांतर योजना पर आक्रामक रुख, आंदोलन की चेतावनी

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देपालपुर से दरबार सिंह ठाकुर
इंदौर।  प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री जीतू पटवारी से इंदौर स्थित आवास पर दशहरे की शुभकामनाएँ देने के बाद किसानों की विभिन्न समस्याओं पर विस्तृत चर्चा हुई। बैठक के दौरान जमीन अधिग्रहण, सोयाबीन, आलू, प्याज़ व लहसुन के कम भाव तथा 1 नवंबर से लागू होने वाली "भाव अंतर योजना" के खामियों पर विशेष रूप से बात की गई। कांग्रेस नेतृत्व ने केन्द्र/प्रदेश सरकार की नीतियों पर तीखा हमला करते हुए किसानों के संकट में पार्टी का संकल्प दोहराया।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री जीतू पटवारी ने बैठक के दौरान स्पष्ट कहा, "सरकार मदमस्त है और किसानों की आवाज़ को अनदेखा कर रही है। हम उनकी समस्याओं को लोकसभा - विधानसभा और सड़कों दोनों जगह उठाएँगे और यदि जरूरत पड़ी तो आंदोलन के लिए भी मैदान में उतरेंगे।" उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी किसानों के साथ खड़ी है और उनके हितों के लिए आवश्यक कदम उठाएगी।

इसी अवसर पर इंदौर सहकारी दुग्ध संघ के पूर्व अध्यक्ष तथा जनपद पंचायत देपालपुर के पूर्व अध्यक्ष मोतीसिंह पटेल ने भावांतर योजना की कड़ी आलोचना की। पटेल ने कहा, "यह योजना किसानों के साथ छलावा है — इससे केवल व्यापारी लाभान्वित होंगे और किसान और अधिक हाशिए पर आ जाएंगे।" उन्होंने वर्ष 2017 के अनुभव का हवाला देते हुए कहा कि तत्कालीन सरकार ने तब भी भावांतर योजना लागू की थी, जिसका भुगतान कई किसानों को आज तक नहीं मिला।

मोतीसिंह पटेल ने आगे बताया कि रबी की बुवाई के लिए किसानों को खाद, बीज और दवाइयों की आवश्यकता होगी, जिसके चलते उन्हें अपनी सोयाबीन मंडियों में कम दाम पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे भावांतर योजना के खिलाफ आगामी आंदोलन में भाग लें और सरकार को योजना निरस्त कर सोयाबीन का समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने के लिए विवश करें।


मोतीसिंह पटेल का आह्वान

मोतीसिंह पटेल ने किसानों से विशेष अपील की — "सब किसान भाइयों से अनुरोध है कि वे अपने दस्तावेज़ व पंजीकरण प्रमाण पत्र संभाल कर रखें और आगामी आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें। हमें सरकार को यह समझाना होगा कि कृषि नीति केवल कागज़ों पर नहीं बल्कि खेतों में असर दिखाए।" उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस अगुआई में यह मुद्दा स्थानीय से लेकर प्रदेश स्तर तक उठाएगी।

कांग्रेस नेतृत्व और स्थानीय किसान नेता मिलकर भावांतर योजना तथा कम होती उपज कीमतों को प्राथमिकता के साथ उठा रहे हैं। 2017 के लंबित भुगतानों व आगामी 1 नवंबर से लागू योजना को लेकर किसानों में असंतोष दिख रहा है और यही कारण है कि आगामी दिनों में राजनीतिक-आंदोलन की तैयारी तेज़ हो सकती है। इस बीच प्रशासन व सरकार से जुड़ी संस्थाओं से अपेक्षा है कि वे किसानों के वास्तविक मुद्दों को समझें और समयबद्ध समाधान दें।

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