श्री माताजी निर्मला देवी जी का क्रिसमस पूजा पर संदेश
श्री माताजी निर्मला देवी जी ने क्रिसमस पूजा के दौरान एक गहन और प्रेरणादायक लेक्चर दिया, जिसमें उन्होंने क्रिसमस के वास्तविक आध्यात्मिक अर्थ और प्रभु यीशु मसीह के जीवन से सीखने के महत्व पर प्रकाश डाला।
प्रभु यीशु मसीह का जीवन: शुद्धता और त्याग का प्रतीक
श्री माताजी ने समझाया कि प्रभु यीशु मसीह का जन्म बहुत साधारण परिस्थितियों में हुआ था, लेकिन उनका जीवन दिव्यता और करुणा का उदाहरण है। उन्होंने कहा कि मसीह ने हमें प्रेम, क्षमा, और त्याग का पाठ पढ़ाया। उनके जीवन का हर पहलू यह सिखाता है कि हमें अपने भीतर की शुद्धता को बनाए रखना चाहिए और दूसरों की सेवा करनी चाहिए।
क्रिसमस का वास्तविक अर्थ
श्री माताजी ने बताया कि क्रिसमस केवल उत्सव का समय नहीं है, बल्कि आत्मा की जागृति और शुद्धि का भी समय है। यह दिन हमें अपने भीतर की अज्ञानता, अहंकार और नकारात्मकताओं से मुक्ति पाने की प्रेरणा देता है।
प्रेम और क्षमा का महत्व
उन्होंने कहा कि यीशु मसीह का सबसे बड़ा संदेश प्रेम और क्षमा है। हमें अपने जीवन में दूसरों के प्रति दयालु और क्षमाशील बनने का प्रयास करना चाहिए। क्षमा का गुण आत्मा को शुद्ध करता है और हमें दिव्यता की ओर ले जाता है।
आत्मज्ञान और ध्यान का मार्ग
श्री माताजी ने यह भी कहा कि क्रिसमस का यह समय ध्यान करने और आत्मचिंतन करने का सबसे अच्छा अवसर है। उन्होंने समझाया कि जब तक हम अपने भीतर की ऊर्जा और आत्मा के साथ जुड़ते नहीं हैं, तब तक हम ईश्वर के वास्तविक स्वरूप को समझ नहीं सकते।
समाज के लिए सेवा और समर्पण
श्री माताजी ने भक्तों को प्रोत्साहित किया कि वे समाज के कल्याण के लिए काम करें, जैसा कि मसीह ने अपने जीवन के दौरान किया। उन्होंने कहा कि दूसरों की मदद करना और उनकी सेवा करना ही मानवता की सच्ची सेवा है।
समापन संदेश
अपने लेक्चर के अंत में, श्री माताजी ने सभी को अपने भीतर शांति और संतोष खोजने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि क्रिसमस का यह पर्व हमें सिखाता है कि जीवन में सादगी, प्रेम और सेवा का क्या महत्व है।
जय श्री माताजी।
यह संदेश न केवल आत्मा की शुद्धि का मार्ग दिखाता है, बल्कि मानवता को एकजुट करने और एक बेहतर समाज बनाने का भी आह्वान करता है।