कार्बाइड गन के विस्फोट से तीन दिनों में 122 से अधिक लोग हुए घायल

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रिपोर्ट: रेणु कैथवास | रंजीत टाइम
भोपाल / जबलपुर, मध्य प्रदेश: दिवाली के बाद राज्य भर में फैली खबरे दर्दनाक रहीं — देसी रूप से बने कार्बाइड गन / डेज़ी फायर क्रैकर गन के विस्फोट से तीन दिनों में 122 से अधिक लोग घायल हुए हैं, जिनमें कम-से-कम 14 बच्चों ने स्थायी रूप से अपनी आँखों की रोशनी खो दी है। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और विदिशा में सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए हैं।

डॉक्टरों का कहना है कि घायलों में अधिकांश बच्चे 6 से 15 वर्ष की आयु के हैं। भोपाल के हमीदिया, जेपी, सेवा सदन और एम्स में कई बाल रोग व नेत्र रोग विशेषज्ञ घायलों का उपचार कर रहे हैं। कुछ मामलों में चेहरा व आंखों को गंभीर नुकसान पहुंचा है; भोपाल एम्स में भर्ती एक 12 वर्षीय बच्चे की आंख बचाने के लिए डॉक्टरी टीम लगातार प्रयासरत है।

कार्बाइड गन सामान्यतः कैल्शियम कार्बाइड, प्लास्टिक पाइप और गैस लाइटर से बनाई जाती है। जब कार्बाइड पानी से संपर्क में आता है तो एसिटिलीन गैस बनती है, जो चिंगारी पर भयंकर विस्फोट करती है। विस्फोट से प्लास्टिक के टुकड़े छर्रों की तरह उड़ते हैं और आंखें व चेहरा गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं। बाजार में यह उपकरण सस्ती कीमत (लगभग ₹150) पर उपलब्ध होने के कारण बच्चों को आकर्षित कर रहा है।

पीड़ित परिवारों में गहरा रोष है। हमीदिया अस्पताल में भर्ती आरिस के पिता सरीख खान ने कहा, “सरकार को ऐसे खतरनाक सामान बेचने वालों पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए — हमारे बच्चों की आंखों की कीमत कोई नहीं चुका सकता।” घायल कई बच्चें बता रहे हैं कि उन्होंने सोशल मीडिया देखकर यह जुगाड़ गन बनाई थी, पर परिणाम विनाशकारी रहे।

यह भी ध्यान देने योग्य है कि मुख्यमंत्री ने 18 अक्टूबर को कार्बाइड गन की बिक्री रोकने के निर्देश दिए थे, फिर भी बाजार में इसे आसानी से बेचा गया। नागरिक, डॉक्टर और पीड़ित परिजनों की मांग है कि निर्माण व बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए, दोषियों को सख्त सज़ा दी जाए तथा सभी घायलों को मुफ्त उपचार और उचित मुआवजा मिलें।

विशेषज्ञों का सुझाव है कि केवल प्रतिबंध ही पर्याप्त नहीं — स्कूलों और समाज में जागरूकता अभियान, ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर खतरनाक प्रयोगों के खिलाफ चेतावनी और स्थानीय स्तर पर निगरानी आवश्यक है। रंजीत टाइम की टीम की अपील है कि माता-पिता बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखें और संदिग्ध वस्तुओं की बिक्री की जानकारी तुरंत स्थानीय प्रशासन/पुलिस को दें।

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