नारायण सेवा संस्थान का इंदौर में 7 सितम्बर को नारायण लिंब फिटमेंट कैम्प
ब्यूरो चीफ अनिल चौधरी
इंदौर। मानव सेवा की ज्योति जलाने वाला नारायण सेवा संस्थान, उदयपुर एक बार फिर उन जीवनों में प्रकाश भरने आ रहा है, जिनकी राहें हादसों और विपदाओं ने अंधेरा कर दी थी। रविवार, 7 सितम्बर को इंदौर के गुरु अमरदास बैंक्वेट हॉल माणकबाग रोड (चोइथराम अस्पताल के पास) में सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक निःशुल्क नारायण लिंब एवं कैलीपर्स फिटमेंट कैम्प का आयोजन होगा।
प्रातः 11 बजे उद्घाटन समारोह आयोजित होगा। इस शिविर में वही दिव्यांगजन शामिल होंगे, जिन्हें संस्थान ने गत 25 मई को आयोजित मेजरमेंट कैम्प में चयनित किया था। इस दिन 240 से अधिक लाभार्थियों को 273 अत्याधुनिक कृत्रिम हाथ-पैर प्रदान किए जाएंगे।
संस्थान के मीडिया एवं जनसंपर्क निदेशक भगवान प्रसाद गौड़ ने बताया कि 40 वर्षों से संस्थान देश-विदेश में लाखों दिव्यांगों के जीवन को संबल दे रहा है। अब इंदौर में भी वे दिव्यांग, जो कभी अपने परिवार पर बोझ समझे जाने लगे थे, जर्मन तकनीक से बने नारायण लिंब पहनकर समाज की मुख्यधारा में लौटेंगे।गौड़ ने मध्यप्रदेश वासियों से मदद की अपील करते हुए कहा- "हर समृद्ध समाज की ताकत उसके नागरिकों में निहित है। जब दिव्यांग सशक्त होते हैं तो राष्ट्र प्रगति और सुदृढ़ता के पथ पर अग्रसर होता है।"इस अवसर पर आश्रम प्रभारी जसवंत मेनारिया के साथ निदेशक भगवान गौड़ ने शिविर का पोस्टर भी जारी किया।
संस्थान ने अब तक भारत ही नहीं, बल्कि केन्या, युगांडा, तंजानिया, मेरु और नेपाल तक सेवा की किरणें पहुँचाई हैं। हर माह लगभग 1800 से अधिक कृत्रिम हाथ-पैर निःशुल्क लगाए जाते हैं। शिविर की गरिमा बढ़ाने हेतु संत-महात्मा, सामाजिक कार्यकर्ता और अनेक गणमान्य नागरिक आमंत्रित किए गए हैं। लाभार्थियों के लिए भोजन की निःशुल्क व्यवस्था होगी तथा फिटमेंट के बाद चलने की विशेष ट्रेनिंग भी दी जाएगी। शिविर में पूर्व लाभार्थी भी शामिल रहेंगे, जो अपने अनुभव साझा कर नए लाभार्थियों का हौसला बढ़ाएँगे।यह शिविर केवल कृत्रिम अंगों का वितरण भर नहीं, बल्कि आशा, आत्मनिर्भरता और मुस्कुराहट की सौगात है। यह उन जीवनों का पुनर्जन्म है, जो कभी ठहर गए थे और अब फिर से आगे बढ़ने को तत्पर हैं।अब तक संस्थान द्वारा 40,000 से अधिक कृत्रिम अंग निःशुल्क लगाए जा चुके हैं और लाखों जीवन को शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास और खेल की राह देकर संबल प्रदान किया गया है। यह शिविर सचमुच उन दिव्यांगों के लिए नई उम्मीद का सूर्योदय है।

