मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार बनी एनडीए सरकार, बढ़ा अन्य दलों का रसूख

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार बनी केंद्र की एनडीए सरकार अपनी पिछली दो सरकारों के मुकाबले कई मायनों में काफी अलग है। चाहे वह सरकार के आकार का मामला हो या फिर भाजपा और सहयोगी दलों की संख्या की बात या फिर राज्यों के प्रतिनिधित्व का मुद्दा। हर मामले में इस सरकार में काफी विविधता है। हर वर्ग और क्षेत्र तक पहुंच की व्यापकता इसमें ज्यादा दिखाई दे रही है।
पिछले दो मौकों- 2014 और 2019 पर जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सरकार बनी तो उनमें भाजपा को स्पष्ट बहुमत था। ऐसे में एनडीए के घटक दलों को बहुत ज्यादा महत्व नहीं मिल पाया था। एनडीए के घटक दलों की संख्या भी कम थी और उनका रसूख भी बहुत कम था। कई बार तो मंत्री पदों और मंत्रालयों को लेकर बात इतनी बिगड़ी के सहयोगी दल सरकार में शामिल भी नहीं हुए। 
साथ ही भाजपा ने भी इसकी कोई बड़ी चिंता नहीं की, लेकिन इस बार हालात बदले हुए थे। भाजपा का अपना बहुमत नहीं था और उसकी सरकार बनाने की निर्भरता सहयोगी दलों पर टिकी हुई थी। ऐसे में सहयोगी दलों को न केवल खासा महत्व मिला, बल्कि उनका प्रतिनिधित्व भी सरकार में काफी ज्यादा बढ़ा। एक-एक सीट वाले सहयोगी दल भी कैबिनेट मंत्रालय हासिल करने में सफल रहे।
सरकार के आकार की बात करें तो 2014 में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बनी पहली एनडीए सरकार में 46 मंत्री ही शामिल किए गए थे। इसमें 24 कैबिनेट 10 राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 12 राज्यमंत्री शामिल थे। 2019 में जब भाजपा ने 300 का आंकड़ा अपने दम पर पार किया तो सरकार का आकार भी बढ़ा। इसमें 25 कैबिनेट 9 राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 24 राज्यमंत्री शामिल किए गए थे। लेकिन इन दोनों ही मौके पर गठबंधन के सहयोगी दलों की भूमिका काफी सीमित थी। राज्यों के प्रतिनिधित्व को देखा जाए तो इस बार सबसे ज्यादा 24 राज्यों का प्रतिनिधित्व है।
एक और महत्वपूर्ण बात है कि तीनों ही मौकों पर पार्टी ने अपने तत्कालीन अध्यक्षों को सरकार में शामिल किया है। 2014 में तत्कालीन अध्यक्ष राजनाथ सिंह को केंद्र सरकार में शामिल किया गया था, जबकि 2019 में तब के अध्यक्ष अमित शाह को सरकार में लिया गया था। इस बार जे.पी. नड्डा को केंद्र सरकार में शामिल किया गया है। नड्डा 2014 की सरकार में भी मंत्री थे। लेकिन 2019 में अमित शाह के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद उनको पार्टी का नया अध्यक्ष बनाया गया था।
नई सरकार में हालांकि महिला मंत्रियों की संख्या कम है और वह दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू सकी, लेकिन अनुभव व वरिष्ठता काफी ज्यादा है। पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकार में शामिल करने से सरकार को काफी लाभ हो सकता है। इसके अलावा भाजपा और सहयोगी दलों के नए और युवा चेहरों को भी काफी महत्व दिया गया है, जिससे कि सरकार की गति काफी तेज हो सकती है।
साभार लाइव हिन्दुस्तान

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