दिल्ली में बनेगा नया सचिवालय

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नई दिल्ली।  लोक निर्माण विभाग (PWD) ने दिल्ली सरकार के सभी विभागों को एक साथ लाने के लिए एक भव्य सचिवालय कॉम्प्लेक्स बनाने की योजना बनाई है। इसके लिए दिल्ली में छह खास जगहों को चुना गया है, जिन्हें जल्द ही मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के सामने अंतिम मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा। इन्हीं में किसी एक जगह नया सचिवालय बनाया जाएगा।
क्यों बनाया जा रहा नया सचिवालय?
दिल्ली का मौजूदा सचिवालय, जिसे ITO पर 'प्लेयर्स बिल्डिंग' के नाम से जाना जाता है, अब सरकार की बढ़ती जरूरतों के सामने छोटा पड़ रहा है। करीब चार एकड़ में फैला यह कॉम्प्लेक्स मुख्यमंत्री कार्यालय और शहरी विकास, PWD, वित्त जैसे प्रमुख विभागों को तो संभालता है, लेकिन कई अन्य महत्वपूर्ण विभाग किराए के दफ्तरों या दिल्ली के कोने-कोने में बिखरे हुए हैं। PWD के एक अधिकारी ने बताया, 'नया सचिवालय बनाने का मकसद है सभी विभागों को एक जगह लाना, ताकि कामकाज में तेजी आए और दिल्लीवासियों को बेहतर सेवाएं मिलें।'
इन 6 जगहों को चुना गया
पीडब्ल्यूडी ने जमीन की उपलब्धता, मालिकाना हक, कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे के आधार पर छह जगहों को चुना है। सभी जगहें सरकारी जमीन पर हैं, जिससे मंजूरी और शिफ्टिंग में आसानी होगी। पीडब्ल्यूडी मंत्री ने इन विकल्पों की समीक्षा कर ली है और अब बस मुख्यमंत्री की मुहर का इंतजार है।
1. गुलाबी बाग- गुलाबी बाग में 80 एकड़ की विशाल सरकारी जमीन इस रेस में सबसे आगे है। यहां पुराने सरकारी कर्मचारी आवास हैं, जो अब जर्जर हो चुके हैं। इनका पुनर्विकास कर नया सचिवालय बनाया जा सकता है। रिंग रोड और मेट्रो कॉरिडोर की नजदीकी इसे और आकर्षक बनाती है।

2. खैबर पास- सिविल लाइन्स के पास खैबर पास में 40 एकड़ जमीन हाल ही में एक अनधिकृत कॉलोनी हटाने के बाद खाली हुई है। यह जगह दिल्ली रिज का हिस्सा रही है और दिल्ली विधानसभा, नॉर्थ दिल्ली जिला कार्यालयों के करीब होने के कारण यह बेहद मुफीद है।

3. राजघाट पावर प्लांट- 2015 में बंद हो चुका राजघाट कोयला आधारित पावर प्लांट, जो 45 एकड़ में फैला है, भी इस दौड़ में शामिल है। यमुना नदी के किनारे और रिंग रोड के पास होने के कारण यह जगह कनेक्टिविटी और मौजूदा बुनियादी ढांचे के लिहाज से शानदार है। हालांकि, पर्यावरणीय मंजूरी लेना यहां एक चुनौती हो सकता है।

4. IPGCL गैस टरबाइन- इंद्रप्रस्थ के पास 30 एकड़ में फैला IPGCL गैस टरबाइन पावर स्टेशन भी सूची में है। यह गैस-आधारित प्लांट अब बंद हो चुका है और इसे प्रशासनिक उपयोग के लिए बदला जा सकता है। सेंट्रल दिल्ली और मेट्रो की नजदीकी इसे खास बनाती है।

5. ITO बस डिपो- 17.5 एकड़ में फैला ITO बस डिपो भी एक मजबूत विकल्प है। इसमें 10 एकड़ डिपो, 2.5 एकड़ सरकारी स्कूल और 5 एकड़ खाली जमीन शामिल है। मौजूदा सचिवालय के ठीक बगल में होने से यह जगह बदलाव और शिफ्टिंग के लिए सुविधाजनक है।

6. ट्विन टावर्स- ITO का ट्विन टावर्स कॉम्प्लेक्स, जिसमें विकास मीनार और आसपास की सरकारी इमारतें शामिल हैं, को भी वर्टिकल रिडेवलपमेंट के लिए चुना गया है। 4.5 एकड़ में फैला यह क्षेत्र DUSIB और DDA के दफ्तरों का ठिकाना है। अगर इसे बस डिपो के साथ जोड़ा जाए, तो 22 एकड़ का एक भव्य केंद्रीय कॉम्प्लेक्स बन सकता है।

क्या होगा अगला कदम?
पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री के फैसले के बाद चुनी गई जगह का विस्तृत सर्वे होगा। अगले दो हफ्तों में एक प्रेजेंटेशन तैयार की जाएगी, जिसके बाद डिजाइन, लागत अनुमान और टेंडर की प्रक्रिया शुरू होगी। एक अधिकारी ने कहा, 'हमारा लक्ष्य है कि नया सचिवालय न सिर्फ आधुनिक हो, बल्कि दिल्ली की बढ़ती प्रशासनिक जरूरतों को लंबे समय तक पूरा करे।'
साभार लाइव हिन्दुस्तान

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