तबादला सीजन में मंत्रियों, अफसरों में खुला विरोध उजागर

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ब्रेन ट्यूमर-कैंसर ही गंभीर बीमारी माना, प्रमुख सचिवों ने मंत्रियों की लिस्ट में की भारी काट-छांट
भोपाल : उत्सव सोनी
प्रदेश में 47 दिनों तक तबादले का समय मिलने के बाद कई विभागों ने समय पर ट्रांसफर लिस्ट जारी नहीं की है। इसमें स्कूल शिक्षा विभाग का नाम सबसे ऊपर है। जिसके चलते मुख्यमंत्री ने सात दिन का अतिरिक्त समय सभी विभागों को दिया था। तबादला सीजन में मंत्रियों और प्रमुख सचिवों व विभागाध्यक्षों के बीच तालमेल की कमी भी खुलकर सामने आई है। तबादले के लिए तमाम मनुहार कर बैन हटवाने वाले मंत्रियों को मनमाफिक तबादला आदेश जारी कराने का मौका नहीं मिल सका है। अफसरों ने इसके लिए सरकार के नियमों को भी दरकिनार किया है। कई विभागों में आठ फीसदी तक तबादले नहीं हो पाए हैं। वहीं कई विभागों द्वारा अब बैकडेट में तबादला आदेश जारी किए जा रहे हैं।
17 जून को तबादले की समय सीमा खत्म हो गई है लेकिन विभागों द्वारा तबादला आदेश जारी करने का सिलसिला अभी जारी है। ये आदेश 17 जून की डेट में जारी हो रहे हैं। राजस्व विभाग ने 509 पटवारियों का तबादला करने के बाद 89 पटवारियों की दूसरी तबादला सूची 18 जून की आधी रात जारी की है और अभी कुछ सूची जारी करने की तैयारी है। खनिज साधन विभाग ने भी अपनी सूची 18 जून को ही जारी की है।
मंत्री प्रहलाद पटेल की नहीं चली तबादले में, हार्ट के मरीज को गंभीर बीमार नहीं मानते अफसर
प्रहलाद पटेल मोहन कैबिनेट के कद्दावर मंत्रियों में गिने जाते हैं लेकिन 47 दिन के तबादला एक्सप्रेस में अफसरों ने उनकी नहीं सुनी। तबादला आदेश जारी करने के दौरान अफसरों ने यह कहकर मंत्री के यहां से आए नाम रिजेक्ट कर दिए कि तीन फार्मूले में फिट नहीं बैठते। ये फार्मूले पारस्परिक तबादला, गंभीर बीमारी कैंसर या ब्रेन ट्यूमर तथा तीसरा महिला का अपने परिवार से दूर पदस्थ होना बताया गया। इसके बाद मंत्री के यहां से आए तबादले नहीं किए गए। वहीं दूसरी ओर इस फार्मूले से इतर तबादले आजीविका मिशन, आरईएस, पंचायत राज समेत अन्य विभागाध्यक्ष कार्यालयों में खुलकर किए गए। विभागाध्यक्षों ने गंभीर बीमारी की नई परिभाषा तय कर दी है कि अब हार्ट या अन्य किसी तरह की बीमारी को गंभीर नहीं माना जाएगा, अगर किसी को ब्रेन ट्यूमर या कैंसर होगा, तभी उसे गंभीर बीमार माना जाएगा।
राजस्व विभाग में हुए सिर्फ ढाई प्रतिशत तबादले, पीएस ने नहीं सुनी मंत्री की
राजस्व विभाग में दस प्रतिशत तबादले किए जाने थे लेकिन प्रमुख सचिव विवेक पोरवाल और आयुक्त भू अभिलेख अनुभा श्रीवास्तव ने मंत्री करण सिंह वर्मा की नहीं सुनी। मंत्री ने जो सूची भेजी, उसमें भारी काट-छांट करते हुए प्रमुख सचिव और सीएलआर ने नाम मात्र तबादले किए हैं। इसी कारण मंत्री प्रमुख सचिव से खासे नाराज भी हैं। बताया जाता है कि राजस्व विभाग में तहसीलदार, प्रभारी तहसीलदार और नायब तहसीलदार, प्रभारी नायब तहसीलदार, पटवारी के सिर्फ ढाई प्रतिशत ही तबादले किए गए हैं। मंत्री द्वारा सीएम से शिकायत किए जाने के बाद अब अंतिम दौर में यह आंकड़ा चार प्रतिशत तक पहुंच सकता है।
जिसके कारण सभी विभागों की तबादला डेट बढ़ी वही जारी नही कर पाया सूची
तबादले को लेकर सबसे अधिक तवज्जो सरकार ने स्कूल महकमे को दी। इसी महकमे के कारण दूसरे विभागों को सात दिन का अतिरिक्त समय सरकार ने तबादलों के लिए दे दिया लेकिन यह विभाग अब तक तबादला सूची जारी नहीं कर पाया। लोक शिक्षण आयुक्त शिल्पा गुप्ता, यहां पदस्थ संचालक केके द्विवेदी व अन्य इस मामले में कोई बात नहीं करना चाहते, मंत्री ने सिफारिशों से परेशान होकर मोबाइल बंद कर लिया है। विभाग के सचिव डॉ संजय गोयल कहते हैं कि जितने तबादले होने थे वह हो गए हैं। डॉ गोयल इस बात को भी नकारते है कि पोर्टल में कोई दिक्कत हुई है जिसके कारण तबादला आदेश जारी करने में देरी हुई है। हालांकि स्कूल शिक्षा विभाग में तबादला आदेश ऑनलाइन दिखाई नहीं दे रहे हैं।
जनजातीय कार्य विभाग ने एक दिन बाद जारी किए आदेश पर तारीख सही डाली
तबादलों के लिए सरकार ने टाइम लिमिट 17 जून तय की थी। जनजातीय कार्य विभाग ने इस अवधि तक सभी तबादला आदेश जारी नहीं किए और कई आदेश एक दिन बाद जारी किए। ऐसे में 17 जून को जारी आदेश तो उसी डेट में जारी हुए लेकिन इसके बाद हुए तबादलों के आदेश बैकडेट में जारी करने के बजाय उसी डेट में जारी हुए जिस डेट में आदेश हुए। ये सभी आदेश 18 जून की डेट में जारी किए गए हैं। विभाग ने तबादले संबंधी 62 आदेश जारी किए हैं। शुरुआत में मंत्री विजय शाह के पास फाइलें नहीं जाने के चलते इस विभाग के आदेश देरी से जारी हुए हैं।
ऊर्जा विभाग में भी सब कुछ ठीक नहीं, सबके सामने नाराजगी जता चुके मंत्री
ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के विभाग का भी कुछ ऐसा ही हाल है। अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी उनके विभाग प्रमुख हैं जिन्होंने मंत्री के यहां से आए नामों को तवज्जो नहीं दी। इसके चलते एसीएस समेत बिजली कम्पनी के एमडी पर पर काबिज अफसरों से मंत्री नाराज हैं। उन्होंने अपनी नाराजगी पिछले दिनों कैबिनेट में भी जताते हुए कहा था कि नया-नया कार्यकर्ता पार्टी में आया है। उनके काम थे। जो भी नाम अफसर को दिए, उन्होंने नहीं किए। पार्टी के मैदानी कार्यकर्ता हैं। काम नहीं हुए तो अब कांग्रेस के लोग उन्हें भड़का रहे हैं कि देखा, तुम्हारे काम नहीं हुए। बेइज्जती हो रही है।
जल संसाधन विभाग में मंत्री के अनुमोदन के बाद जोड़ दिए नए नाम
उधर जल संसाधन विभाग में एक अलग तरह का ही कारनामा सामने आया है। यहां सहायक ग्रेड कैडर के कर्मचारी ने विभाग के मंत्री द्वारा अनुमोदित की गई तबादला सूची में सीरियल नम्बर 18 पर नया नाम जोड़कर सूची जारी कर दी। इसका पता चलने के बाद प्रमुख अभियंता जल संसाधन विभाग विनोद देवड़ा ने कर्मचारी को संबंधित शाखा से हटाने के साथ उसे नोटिस जारी कर तीन दिन में जवाब तलब किया है। यह मामला तो पकड़ में आ गया पर कई अन्य विभागों में ऐसी स्थिति बनने से इनकार नहीं किया जा सकता है।
स्वास्थ्य मंत्री के बंगले पर नोटिस रहा चर्चा में
उधर डिप्टी सीएम और लोक स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा मंत्री राजेंद्र कुमार शुक्ल ने तबादलों से किनारा कर रखा था। उनके बंगले व दफ्तर में तबादले संबंधी आवेदन लेने में भारी ना नुकर की जाती रही और इसके लिए नोटिस भी चस्पा कर रखा गया था। तबादलों में अफसरों की मनमर्जी को देखते हुए शुक्ल ने चुनिंदा मामलों को छोड़ बाकी में सूची से किनारा कर रखा था।

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