मन की शांति का आधार भौतिकवादी दृष्टिकोण नहीं हो सकता : श्री माताजी
विश्व की वर्तमान स्थिति पर यदि दृष्टिपात किया जाए तो हम पाते हैं कि अलग अलग संगठन विश्व शांति की बात करते हुए दिखाई देते हैं परन्तु वास्तव में विश्व शांति कहीं दिखाई नहीं देती। जिन देशों के प्रतिनिधि विश्व शांति की स्थापना का प्रयास करते हैं वे ही दूसरे देशों को दबाने का, परमाणु हथियारों का संग्रह करने का कार्य करते हुए दिखाई देते हैं। यह स्थिति विश्व स्तर से प्रारंभ होकर परिवार रूपी छोटी इकाई तक हर ओर है। परिवार से भी आगे प्रत्येक व्यक्ति भी आज इस स्थिति से गुजर रहा है। मानव, जीवन की आपाधापी से तंग आकर शांति की प्राप्ति का प्रयास करता है। छुट्टियों पर जाना, मेडिटेशन कक्षाओं से जुड़ना, तीर्थ यात्राएं, व्रत- उपवास, अन्य अनेक साधन शांति पाने का ही प्रयास होते हैं। परिणाम शून्य ना भी तो भी संतोषजनक नहीं होता है। कारण मात्र एक ही है बेकाबू मन का घोड़ा और उस पर सवार अहंकार। अहंकार का जन्म मन की असीमित इच्छाओं से होता है और अहंकार की तुष्टि न होने पर मनुष्य या तो आक्रामक हो जाता है या निराश। परंतु इस सृष्टि के वास्तविक सत्य से अनभिज्ञ मानव ये नहीं समझ पाता कि मन की शांति का आधार प्रेम व करुणा होती है तथा शांति बाह्य प्रयासों से नहीं पाई जा सकती यदि आप भीतर से संतुष्ट हैं तो कपड़े बुनते हुए भी कबीर हो सकते हैं या जूते गांठते हुए रैदास। सहजयोग संस्थापिका श्री माताजी निर्मला देवी जी ने मन की शांति की सहजयोग में महत्ता का वर्णन कुछ इस प्रकार किया है कि,
"हमें लोगों को प्रेम, करुणा, स्नेह व आत्म-सम्मान के साथ जीतना होगा। जब हम कहते हैं कि यह एक विश्व धर्म है, हम इस वैश्विक धर्म ( सहजयोग ) से संबंधित हैं, तो पहली और सबसे महत्वपूर्ण चीज़ यह है कि शांति इस धर्म का सार-तत्व है। शुरुआत करने के लिए, शांति हमारे अंदर होना आवश्यक है। आपको अपने अंदर शांत होना होगा। यदि आप शांत नहीं हैं, यदि आप अपने अहंकार के साथ चालाकियां कर रहे हैं, यदि आप मात्र यह कह कर अपने आप को तसल्ली दे रहे हैं कि मैं शांत हूँ, तो आप बुरी तरह से गलतफहमी में हैं। शांति का अपने अंदर ही आनंद लेना होगा। इसे आपको अपने अंदर महसूस करना होगा। अतः आप अपने आप को झूठी तसल्लियां न दें। अपने अंदर झूठी धारणाएं न पालें। अपने आप को धोखा न दें। आपको शांति को अपने अंदर खुद महसूस करना होगा।" (7 फरवरी 1985)
सहजयोग में कुंडलिनी जागरण द्वारा आत्मसाक्षात्कार की प्राप्ति के पश्चात् अहंकार की समाप्ति स्वयं ही हो जाती है और सहज रूप से मन में शांति की प्राप्ति होती है।
सहजयोग से संबंधित जानकारी निम्न साधनों से प्राप्त कर सकते हैं। सहजयोग पूर्णतया निशुल्क है। टोल फ्री नं – 1800 2700 800 बेवसाइट - sahajayoga.org.in