गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाश पर्व: इतिहास, महत्व और उत्सव

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परिचय
गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाश पर्व सिख धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है। यह पर्व गुरु ग्रंथ साहिब जी की स्थापना और उन्हें सिख धर्म के शाश्वत गुरु के रूप में मान्यता देने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। गुरु ग्रंथ साहिब जी सिख धर्म का पवित्र ग्रंथ है, जिसमें सिख गुरुओं और अन्य संतों की वाणी संकलित है। 

इतिहास
गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाश पर्व 1 सितंबर 1604 को हरिमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर), अमृतसर में मनाया गया था। इस ग्रंथ का संकलन सिखों के पांचवें गुरु, गुरु अर्जन देव जी ने किया था। उन्होंने सिख धर्म की शिक्षाओं को संरक्षित करने और सही मार्गदर्शन के लिए गुरु ग्रंथ साहिब को संकलित किया। इसके संकलन में सिख गुरुओं की वाणी के साथ-साथ हिंदू और मुस्लिम संतों की वाणी को भी स्थान दिया गया, जिससे यह ग्रंथ संपूर्ण मानवता के लिए एक मार्गदर्शक बना।
गुरु अर्जन देव जी ने भाई गुरदास जी की सहायता से गुरु ग्रंथ साहिब की प्रतिलिपि तैयार करवाई और इसे हरिमंदिर साहिब में स्थापित किया। गुरु गोबिंद सिंह जी, सिखों के दसवें और अंतिम गुरु, ने 1708 में गुरु ग्रंथ साहिब जी को सिख धर्म का शाश्वत गुरु घोषित किया और कहा कि अब कोई जीवित गुरु नहीं होगा, बल्कि गुरु ग्रंथ साहिब ही सभी सिखों का मार्गदर्शन करेंगे।

महत्व:
गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाश पर्व सिख समाज के लिए आध्यात्मिक और धार्मिक जागरूकता का प्रतीक है। यह पर्व सिखों को गुरु ग्रंथ साहिब की शिक्षाओं के प्रति समर्पित रहने और उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। गुरु ग्रंथ साहिब जी की शिक्षाएं, जैसे कि एकता, सेवा, सच्चाई, और नम्रता, पूरे समाज के लिए प्रेरणादायक हैं।

उत्सव का तरीका:
इस दिन सिख समुदाय गुरुद्वारों में विशेष कीर्तन, अखंड पाठ, और लंगर सेवा का आयोजन करता है। गुरुद्वारों को सजाया जाता है और नगर कीर्तन (धार्मिक शोभायात्रा) निकाले जाते हैं, जिसमें गुरबानी का गायन और शबद कीर्तन होता है। यह दिन सेवा, दान-पुण्य और भाईचारे की भावना को प्रोत्साहित करने का होता है। सिख संगत इस दिन गुरु ग्रंथ साहिब जी के प्रति अपनी श्रद्धा और सम्मान प्रकट करती है।


उपसंहार:
गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाश पर्व सिख समाज के लिए न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह मानवता के प्रति प्रेम, सेवा, और सच्चाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी देता है। यह पर्व हमें गुरु ग्रंथ साहिब जी की शिक्षाओं के प्रति समर्पित रहने और उन्हें अपने जीवन में लागू करने की प्रेरणा देता है।

प्रकाशित: गोपाल गावंडे, संपादक, रणजीत टाइम्स

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