रक्षाबंधन: एक पवित्र बंधन, समाज के लिए एक संदेश
रक्षाबंधन, भारतीय संस्कृति का एक ऐसा पर्व है जो भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को सम्मान और प्रेम के साथ मनाता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और भाई उसकी रक्षा का वचन देता है। यह पर्व हमें परिवारिक रिश्तों की गहराई और समर्पण की याद दिलाता है, जिसमें भाई-बहन का संबंध एक अटूट बंधन के रूप में उभरता है।
रक्षाबंधन की मान्यता:
रक्षाबंधन का इतिहास हमारे पुराणों और लोक कथाओं में बखूबी देखा जा सकता है। यह पर्व न केवल एक प्रतीकात्मक धागे के माध्यम से जुड़ने का दिन है, बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक मान्यता भी है, जो भाई और बहन के बीच आपसी विश्वास और प्यार को दर्शाता है। इस पर्व की शुरुआत प्राचीन काल में हुई थी, जब रानी कर्णावती ने मुगल सम्राट हुमायूँ को राखी भेजी थी, जिससे यह प्रमाणित हुआ कि यह धागा भाई और बहन के बीच सुरक्षा और विश्वास का प्रतीक है।
समाज में रक्षाबंधन का महत्व:
आज के समय में जब समाज में भौतिकवाद और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं का बोलबाला है, ऐसे में रक्षाबंधन का महत्व और भी बढ़ जाता है। यह पर्व हमें हमारे परिवार और रिश्तों की अहमियत को समझने का अवसर देता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि रिश्तों का मूल्य उन भावनाओं में है जो हम एक दूसरे के प्रति रखते हैं, न कि केवल उपहारों और औपचारिकताओं में।
बेटियों की कमी और सामाजिक जागरूकता:
दुर्भाग्यवश, आज हमारे समाज में बेटियों की संख्या में कमी हो रही है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है। बेटी न केवल एक परिवार की शान होती है, बल्कि वह समाज की रीढ़ भी होती है। आज जिस प्रकार लड़कियों की संख्या घट रही है, वह दिन दूर नहीं जब रक्षाबंधन के इस पवित्र पर्व पर भाइयों की कलाई पर राखी बांधने वाली बहनें भी कम हो जाएंगी।
यह समय है जब हमें समाज में लड़कियों के प्रति अपनी सोच में बदलाव लाने की आवश्यकता है। लड़का-लड़की में फर्क करना न केवल गलत है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक और सामाजिक धरोहर के खिलाफ भी है। बेटियां हमारे समाज की मजबूत नींव हैं, और उनका सम्मान और सुरक्षा हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।
रक्षाबंधन का यह पर्व हमें यह संदेश देता है कि हमें अपनी बेटियों की रक्षा करनी है और उन्हें वह सभी अधिकार देने हैं जिनकी वे हकदार हैं। हमें लड़कियों और लड़कों के बीच कोई भेदभाव नहीं करना चाहिए, तभी हमारा समाज वास्तव में प्रगतिशील और समृद्ध हो सकेगा।
इस रक्षाबंधन, आइए हम सभी यह संकल्प लें कि हम अपने समाज में बेटियों की सुरक्षा और सम्मान को बढ़ावा देंगे, ताकि हर भाई की कलाई पर राखी बांधने के लिए बहनें सदैव उपस्थित रहें।