जन्मभूमि में विराजे राम लला
अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का विधान शुरू हो गया है। मंदिर के गर्भगृह में मोदी पहुंच गए है। उन्होंने प्राण-प्रतिष्ठा पूजा के लिए संकल्प लिया। अब पूजा शुरू हो गई है।
इससे पहले सुबह मंत्रोच्चार के साथ रामलला को जगाया गया। इसके बाद वैदिक मंत्रों के साथ मंगलाचरण हुआ। 10 बजे से शंख समेत 50 से ज्यादा वाद्य यंत्रों की मंगल ध्वनि के साथ प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम शुरू हो गया है।
अभी गर्भगृह में मूर्ति की पूजा चल रही है। वहीं, यज्ञशाला में हवन भी चल रहा है। दोपहर 12.29 बजे प्राण-प्रतिष्ठा की मुख्य विधि शुरू होगी जो 84 सेकेंड की रहेगी। इन 84 सेकेंड में ही मूर्ति में प्राण स्थापना की जाएगी।
प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंडप में वसोधारा पूजन होगा। ऋग्वेद और शुक्ल यजुर्वेद की शाखाओं का होम और परायण होगा। इसके बाद शाम को पूर्णाहुति होगी और देवताओं का विसर्जन किया जाएगा।
इस महोत्सव में होने वाली वैदिक क्रियाएं और शुभ संस्कार 16 तारीख से शुरू हो गए थे। पहले दिन प्रायश्चित्त होम यानी पवित्रीकरण की क्रिया हुई। इसके बाद कलश पूजन और मूर्ति की शोभायात्रा हुई फिर मूर्ति का परिसर में प्रवेश हुआ। जलयात्रा और तीर्थ पूजा हुई और अधिवास हुए।
मूर्ति की पवित्रता और शक्ति बढ़ाने के लिए मूर्ति को जल, घी, औषधि, केसर, शहद, फल, अनाज और सुगंधित चीजों में रखा गया। इसे अधिवास कहते हैं। इसके बाद श्रीरामलला को 20 जनवरी को स्थापित किया।
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