भिक्षुक पुनर्वास केंद्र में सामाजिक बुराइयों रूपी रावण का दहन, हितग्राहियों ने लिया आत्मनिर्भर जीवन का संकल्प

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पत्रकार खुशबू श्रीवास्तव
विजयादशमी के पावन पर्व पर शहर के भिक्षुक पुनर्वास केंद्र में एक अनूठा और प्रेरणास्पद कार्यक्रम आयोजित किया गया। केंद्र के हितग्राहियों ने समाज और अपने जीवन में व्याप्त 10 प्रमुख बुराइयों के प्रतीक रावण का दहन कर, आत्मनिर्भर जीवन जीने का दृढ़ संकल्प लिया।

पारंपरिक रावण दहन से अलग, यहाँ एक ऐसा पुतला जलाया गया जिस पर उन 10 बुराइयों को लिखा गया था जिनसे ये हितग्राही स्वयं संघर्ष करते रहे हैं। इनमें अज्ञानता, गरीबी का अभिशाप, नशे की लत, भिक्षावृत्ति की विवशता, बाल श्रम, अंधविश्वास, लैंगिक असमानता, पर्यावरण के प्रति उदासीनता, सामाजिक भेदभाव, और बेरोजगारी की हताशा शामिल थीं।

सभी हितग्राहियों ने एकजुट होकर इन बुराइयों को मिटाने की शपथ ली। बुराइयों के इस प्रतीक के दहन के साथ ही उनके चेहरों पर एक नई शुरुआत की आशा और आत्मविश्वास की चमक साफ दिखाई दी। यह क्षण इस बात का प्रतीक था कि वे अब विवशता का जीवन त्यागकर सम्मान और आत्मनिर्भरता का मार्ग चुन रहे हैं।

रूपाली जैन ने कहा, "विजयादशमी का असली अर्थ अपने भीतर और समाज की बुराइयों पर विजय पाना है। यह कार्यक्रम हितग्राहियों के आत्मविश्वास को जगाने और उन्हें यह विश्वास दिलाने का एक माध्यम है कि वे भी गरीबी, नशे और निराशा जैसी बुराइयों को हराकर एक सम्मानजनक जीवन जी सकते हैं।"

यह आयोजन दर्शाता है कि सही मार्गदर्शन और अवसर मिलने पर हर व्यक्ति नकारात्मकता को त्यागकर सकारात्मक बदलाव ला सकता है। भिक्षुक पुनर्वास केंद्र का यह कदम न केवल पुनर्वास, बल्कि हितग्राहियों के सामाजिक और मानसिक सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

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