सहजयोग से प्राप्त करें देवी कवच का क्रियात्मक संरक्षण
प पू श्री माताजी प्रणित सहजयोग एक नैसर्गिक, शास्त्रीय (Scientific) और आध्यात्मिक ध्यान पद्धति है। इस ध्यान पद्धति को नैसर्गिक इसलिये कहा जाता है, क्योंकि सामूहिक आत्म साक्षात्कार देने की इस विधा में पंच महाभूतों का उपयोग किया जाता है। प.पू श्री माताजी द्वारा आत्मसाक्षात्कार प्राप्त साधक की कुंडलिनी शक्ति बड़ी सहजता से उर्ध्वगामी होकर हर दिन के ध्यान द्वारा पोषित होकर, साधक को निर्विचारिता का निरानंद प्रदान करती है। नवरात्रि के दिनों में हम माँ दुर्गा का पूजन-अर्चन कर देवीकवच का पाठ करते हैं। देवी कवच अर्थात् माँ दुर्गा का संपूर्ण संरक्षण हमें इस कवच से प्राप्त होता है।
नवरात्रि में हम नवदुर्गा का पूजन, अर्चन और ध्यान करते हैं। माता शैलपुत्री, ब्रम्हचारिणी, चंद्रघन्टा कुष्मांडा स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, सिद्धिदात्री तथा महागौरी आदि रूपों में पूजित माँ भगवती आदिशक्ति एक-एक रूप धारण कर साधक सूक्ष्मातिसूक्ष्म अवयवों का रक्षण कर साधक को विविध आपदाओं से बचाती हैं। ये सारी देवीयां विविध अंलकारों से युक्त और योग शाक्तियों से संपन्न हैं। उन्होंने अपने हाथों में शंख, चक्र, गदा, हल, मूसल, खेटक, तोमर इत्यादि विविध आयुध इसलिये धारण किये हुए हैं कि ये अपने भक्तों को अभयदान देकर संरक्षित कर सकें और सारी दुष्ट शक्तियों का विनाश कर सकें।
विभिन्न शक्तियों से संपन्न ये सारी देवीयां हमारे पांव के नाखूनों से सिर के बाल तक हमारे सारे आंतरिक अवयव, हमारी स्थावर व जंगम संपत्ति, हमारे गोत्र, पुत्र-पौत्रादि की रक्षा करती हैं। इस पृथ्वी पर उपस्थित सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों का दुष्प्रभाव इनकी कृपा से समाप्त हो जाता है। देवी का यह कवच देवताओं के लिये भी दुर्लभ है। कवच से सुरक्षित मनुष्य निर्भय हो जाता है, उसकी सारी आध्यात्मिक, अधिभौतिक और अधिदैविक व्याधियां सभी नष्ट हो जाती हैं।
सहजयोग में श्री माताजी ने देवी कवच का क्रियात्मक स्वरूप प्रदान किया है। आत्मसाक्षात्कार प्राप्ति के बाद साधक के मूलाधार में स्थित कुंडलिनी शक्ति ऊर्ध्वगामी होकर ब्रह्माण्ड में स्थित ऊर्जा से साधक का योग घटित कराती है योग की यह जीवंत क्रिया जब साधक के अंतरंग में घटित होती है तब उसकी उंगलियों के पोरों से और तालू भाग से शीतल चैतन्य लहरियां (positive protective energy) बहने लगती हैं। इन चैतन्य लहरियों की मदद से साधक अपने हाथों से अपनी शक्ति को उठाकर बंधन लेकर अपने सातों चक्रों को कवच ( संरक्षण) में बाँध लेता है। जब आत्मसाक्षात्कारी व्यक्ति इस प्रकार का क्रियात्मक कवच लेता है तब उस व्यक्ति के इर्द-गिर्द सकारात्मक ऊर्जा का एक वलय तैयार होता है और वह वलय साधक को सारी दुष्ट, नकारात्मक शक्ति से बचाकार उसके अंग-प्रत्यंगो की रक्षा करता है।
देवी कवच में वर्णित सारे आशीर्वादों का जीवंत अनुभव प्राप्त करने हेतु सहजयोग ध्यान में आपका स्वागत है।
सहजयोग ध्यान केंद्र की जानकारी टोल फ्री नंबर 1800 2700 800 से प्राप्त कर सकते हैं।

