धार्मिक यात्रा... राकेश गर्ग टिल्लू भैया परिवार सहित जल चढ़ाने के लिए रामेश्वरम रवाना
ब्यूरो रिपोर्ट ऋषि गोस्वामी शिवपुरी
शिवपुरी | राकेश गर्ग टिल्लू भैया एवं उनका परिवार मंगलवार की सुबह रामेश्वरम जल चढ़ाने के लिए एवं गंगा सागर की यात्रा के लिए रवाना हुए। स्थानीय लोगों ने तीर्थ यात्रा से पहले राकेश गर्ग टिल्लू भैया एवं उनके परिवार का स्वागत कर धूमधाम से उन्हें रवाना किए। के साथ सुबह मां , राजराजेश्वरी मैया, के दर्शन कर शिवपुरी से ग्वालियर अपनी निजी कार से रवाना हुए इसके बाद एरोप्लेन से रामेश्वरम की यात्रा के लिए रवाना हुए इसके पहले सभी लोगों ने राकेश गर्ग टिल्लू भैया एवं उनके परिवार को पुष्पमाला पहनाकर रवाना किया। इन लोगों के कही दिनों की यात्रा बताई गई है वही आपको बता दें की माना जाता है इस मंदिर में आज भी भगवान राम करते हैं महादेव की पूजा, जानें रामेश्वरम का चौंकाने वाला रहस्य जसवंत नगर कस्बा में एक ऐसा मंदिर स्थापित है. जहां भगवान राम महादेव की पूजा अर्चना करने पहुंचे थे. इस मंदिर का नाम जसवंतनगर में ही नहीं आसपास के कई क्षेत्रों में प्रसिद्ध है. जनपद के जसवंतनगर कस्बा में एक ऐसा मंदिर स्थापित है. जहां भगवान राम महादेव की पूजा अर्चना करने पहुंचे थे. इस मंदिर का नाम जसवंतनगर में ही नहीं आसपास के कई क्षेत्रों में प्रसिद्ध है इस मंदिर को लोग रामेश्वरम मंदिर के नाम से जानते हैं. क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना यह है कि यह मंदिर करीबन 300 वर्ष पुराना है और सबसे पुरानी ऐतिहासिक इटावा जनपद ही नहीं बल्कि इस पूरे प्रदेश में अपनी ख्याति बिखेरने वाली मैदानी रामलीला की भी शुरुआत इसी मंदिर से हुई थी. 1855 में जसवंत नगर की रामलीला की शुरुआत हुई और भगवान राम अपने लीला दिखाने से पहले भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. यह पूरे भगवान राम के रूप को धारण कर भगवान भोलेनाथ के मंदिर में पहुंचते हैं और वहां पूजा अर्चना करते हैं इसलिए इस मंदिर का नाम उसी समय से रामेश्वरम पड़ गया. इस मंदिर की व्याख्या करते हुए कहा गया है कि यहां जो भी सच्चे मन से भगवान भोलेनाथ से मांगता है वह उनकी हर मनोकामना को पूरी करते हैं.
सावन में हजारों की संख्या में पहुंचते हैं श्रद्धालु
यहां की प्रसिद्ध मैदान की रामलीला का भी एक बड़ा इतिहास है सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ के मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और माथा टेक कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. नाग पंचमी के मौके पर श्रद्धालुओं ने भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद लिया और नाग पंचमी का पर्व मनाया.