विरासत और नायकों का सम्मान हमारा दायित्व: पीएम मोदी ने पार्वती गिरि को किया याद
साथियो, ये हमारा दायित्व है कि हम अपनी विरासत को ना भूलें। हम आजादी दिलाने वाले नायक-नायिकाओं की महान गाथा को अगली पीढ़ी तक पहुंचाएं | आपको याद होगा जब हमारी आजादी के 75 वर्ष हुए थे, तब सरकार ने एक विशेष website तैयार की थी | इसमें एक विभाग 'Unsung Heroes' को समर्पित किया गया था | आज भी आप इस website पर visit करके उन महान विभूतियों के बारे में जान सकते हैं जिनकी देश को आजादी दिलाने में बहुत बड़ी भूमिका रही है।
साथियो, अगले महीने हम देश का 77वाँ गणतंत्र दिवस मनाएंगे। जब भी ऐसे अवसर आते हैं, तो हमारा मन स्वतंत्रता सेनानियों और संविधान निर्माताओं के प्रति कृतज्ञता के भाव से भर जाता है | हमारे देश ने आजादी पाने के लिए लंबा संघर्ष किया है | आजादी के आंदोलन में देश के हर हिस्से के लोगों ने अपना योगदान दिया है | लेकिन, दुर्भाग्य से आजादी के अनेकों नायक-नायिकाओं को वो सम्मान नहीं मिला, जो उन्हें मिलना चाहिए था |
ऐसी ही एक स्वतंत्रता सेनानी हैं - ओडिशा की पार्वती गिरि जी | जनवरी 2026 में उनकी जन्म-शताब्दी मनाई जाएगी | उन्होंने 16 वर्ष की आयु में 'भारत छोड़ो आंदोलन' में हिस्सा लिया था | साथियो, आजादी के आंदोलन के बाद पार्वती गिरि जी ने अपना जीवन समाज सेवा और जनजातीय कल्याण को समर्पित कर दिया था। उन्होंने कई अनाथालयों की स्थापना की | उनका प्रेरक जीवन हर पीढ़ी का मार्गदर्शन करता रहेगा।
फिजी में भारतीय भाषा और संस्कृति के प्रसार के लिए एक सराहनीय पहल हो रही है। वहां की पीढ़ी को तमिल भाषा से जोड़ने के लिए स्कूल में तमिल दिवस मनाया गया। वहां बच्चों ने तमिल में कविताएं सुनाईं और प्रस्तुतियां दीं। हमारे देश में तमिल भाषा के प्रचार के लिए लगातार काम हो रहा है। हाल ही में काशी में चौथा काशी तमिल संगमम का आयोजन हुआ। इस साल काशी तमिल संगमम में तमिल भाषा सीखने पर खासा जोर दिया गया। इस दौरान काशी के 50 से ज्यादा स्कूलों में विशेष अभियान भी चलाया गया। मुझे खुशी है कि आज देश के दूसरे हिस्सों में भी बच्चों और युवाओं के बीच तमिल भाषा को लेकर नया आकर्षण दिख रहा है - यही भाषा की ताकत है, यही भारत की एकता है ।
साभार अमर उजाला

