इंदौर में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने 'परिक्रमा कृपा सार' का किया विमोचन

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पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री की पहली नर्मदा परिक्रमा की कृति का विमोचन
नर्मदा परिक्रमा पर पुस्तक ‘परिक्रमा कृपा सार’ को मिली सराहना
आदित्य शर्मा
इंदौर। रविवार को इंदौर का ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर श्रद्धा और विश्वास के संदेश से गूंज उठा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने यहां नर्मदा खंड सेवा संस्थान के कार्यक्रम में शिरकत करते हुए पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल की लिखी पुस्तक ‘परिक्रमा कृपा सार’ का विमोचन किया। कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. भागवत ने पारंपरिक दीप प्रज्वलन के साथ की। इस मौके पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल भी मौजूद रहे।
विमोचन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख परमपूज्य डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि उन्हें बताया गया कि यह पुस्तक नर्मदा परिक्रमा के अनुभवों पर आधारित है। “मैंने इसे मान्य कर लिया क्योंकि नर्मदा परिक्रमा हमारे देश में बहुत बड़ी श्रद्धा का विषय है। हमारा देश श्रद्धा का देश है। यहां कर्मवीर भी हैं और तर्कवीर भी। तर्क और शास्त्रार्थ में हमारा देश कभी पीछे नहीं रहा, लेकिन जीवन चलाने के लिए श्रद्धा और विश्वास की आवश्यकता होती है। उन्होंने आगे कहा, “जिन्हें जड़वादी कहा जाता है, वे भी अब मानने लगे हैं कि दुनिया श्रद्धा और विश्वास पर चलती है। कुछ लोग सोचते हैं कि वैज्ञानिक बुद्धि ही सबकुछ है, यानी प्रत्यक्ष प्रमाण चाहिए। लेकिन यह जरूरी नहीं कि हर जगह प्रत्यक्ष प्रमाण मिले। भारत की जो श्रद्धा है, वह काल्पनिक नहीं है। इसके प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। जिन्होंने प्रयास किया है उन्होंने अनुभव किया है। हमारे यहां श्रद्धा को साकार रूप दिया गया है। देवी-देवताओं के रूप में, भवानी और शंकर के रूप में। भगवान हमारे भीतर ही हैं, लेकिन श्रद्धा और विश्वास के बिना उनके दर्शन संभव नहीं।”


परमपूज्य के सराहनीय उदाहरण दुनिया में विश्वास से ही व्यवस्था चलती है
परमपूज्य डॉ मोहन भागवत ने उदाहरण देते हुए कहा कि दुनिया में कई चीजें विश्वास पर चलती हैं। “कुछ लोग मजिस्ट्रेट के पास गए और बोले हम एक कंपनी हैं – नाम है जनरल मोटर्स। मजिस्ट्रेट ने मान लिया। जबकि उस वक्त जनरल मोटर्स जैसी कोई कंपनी अस्तित्व में नहीं थी। लेकिन आज जनरल मोटर्स हर साल लाखों कारें बनाती है, करोड़ों का कारोबार करती है, लाखों लोगों को रोजगार देती है। यह सब क्या है? यही विश्वास की ताकत है,” उन्होंने कहा। संघ प्रमुख ने जीवन की चुनौतियों पर भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि पहले गला और जेब काटने का काम दर्जी करते थे, अब पूरी दुनिया कर रही है। “बाज और कबूतर की कहानी सिखाती है कि ज्ञान और कर्म दोनों जरूरी हैं। केवल ज्ञानी होकर निष्क्रिय रहना गड़बड़ी करता है। जीवन एक नाटक की तरह है, जहां हर व्यक्ति को अपनी भूमिका निभानी होती है। अंत में हमारी असली पहचान आत्मा की होती है।
माननीय प्रहलाद पटेल जी का संबोधन
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल ने इस अवसर पर नर्मदा परिक्रमा से जुड़े अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि उन्होंने पहले इस पुस्तक को छपने से मना कर दिया था। “मैं नर्मदा को बेचना नहीं चाहता था। नर्मदा हमारी माता है। नदियां हमारी विरासत हैं, ये हमारा जीवन है। 30 वर्षों में मुझे दो मौके मिले  2005 में जब मैंने दूसरी बार नर्मदा परिक्रमा की और उसके बाद मैं केंद्र में संस्कृति मंत्री बना। तब मेरे सहयोगियों ने कहा कि अब इसे छपने देना चाहिए । मेरे पास नर्मदा यात्रा के 72 घंटे के वीडियो फुटेज और किनारे के दृश्य हैं । डिस्कवरी चैनल के लोग भी मुझसे इसको लेकर मिलने आए, लेकिन मैंने तब भी कहा कि मैं नर्मदा को बेचना नहीं चाहता।उन्होंने बताया कि ‘परिक्रमा कृपा सार’ का विमोचन सिर्फ विमोचन नहीं है बल्कि एक संकल्प भी है। “इस पुस्तक की एक-एक पाई गौसेवा और परिक्रमा वासी के कल्याण में लगेगी। नर्मदा परिक्रमा केवल धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, पर्यावरण और जीवन से जुड़ा एक गहरा अनुभव है ।
इस पावन अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल सहित मंत्रिमंडल के साथी, छत्तीसगढ़ी,उत्तराखंड, मणिपुर समेत कई राज्यों की राजनैतिक शख्शियत मौजूद रहीं। महामंडलेश्वर ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए नर्मदा और सेवा भाव को लेकर सभी आगंतुक साथियों को नर्मदा सेवा की प्रतिबद्धता को लेकर प्रेरित करने को लेकर दोहराया। उन्होंने कहा कि नर्मदा मध्य प्रदेश की जीवनरेखा है। नर्मदा परिक्रमा केवल धार्मिक नहीं बल्कि पर्यावरण संरक्षण और समाज सेवा का भी संदेश देती है।
देश भर से आए पथिक और सहयोगियों के साथ अतिथियों ने पुस्तक विमोचन पर माननीय मंत्री प्रहलाद पटेल को बधाई दी। सभी ने एक स्वर में कहा इस तरह के प्रयास आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेंगे।

पुस्तक में मंत्री प्रहलाद पटेल के निजी अनुभव, उनकी यात्राएं, नर्मदा किनारे की संस्कृति, संतों और साधकों से हुई मुलाकातें और नर्मदा की आध्यात्मिकता का विस्तृत विवरण है। पुस्तक में नर्मदा परिक्रमा से जुड़े दुर्लभ दृश्य और चित्र भी शामिल किए गए हैं।
इस भव्य और दिव्य समागम के माध्यम से श्रद्धा, विश्वास, पर्यावरण संरक्षण और भारतीय संस्कृति के प्रति सम्मान का प्रतीक बनने की प्रेरणा दी। इस मौके पर उपस्थित लोगों ने भी ‘परिक्रमा कृपा सार’ पुस्तक के विमोचन को एक ऐतिहासिक क्षण बताया।

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