युवाओं को अंतर्निहित शक्तियों का परिचय प्रदान कर ऊर्जावान बनाता है सहजयोग

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पूर्वकाल में अपने भारत देश में गुरुकुल परंपरा थी | हर एक बालक को गुरु गृह जाकर अध्ययन करना पड़ता था। ये कहानी ऐसे ही एक गुरुकुल से संबंधित है। इस गुरुकुल मे कई बच्चों ने आठ वर्ष की आयु में उपनयन संस्कार कर, दाखिला लिया  और अगले बारह वर्षों तक गुरुकुल में जाकर शस्त्र, शास्त्र और विज्ञान का अभ्यास किया। बारह वर्ष के बाद जब वे सभी स्नातक हो गये तो 'दीक्षांत समारोह ' में उनके गुरुदेव बोले ,आज आप सभी को हमें गुरुदक्षिणा देनी पड़ेगी। सभी शिष्य विनम्रतापूर्वक बोले ,अवश्य गुरुदेव ! बताईये आपको क्या गुरुदक्षिणा चाहिये? गुरुदेव ने कहा, आप सभी जंगल में जायें और मुझे ऐसे वृक्ष की पांच पत्तियां लाकर दीजिए ,जिसकी कोई उपयोगिता न हो । सभी शिष्यों ने कहा , इतने साल पढ़ाई की इतनी सी गुरुदक्षिणा! हम सभी अभी जाकर आपको गुरुदक्षिणा प्रदान करते हैं। सभी चारों दिशा में निकल पड़े, सूर्योदय से सूर्यास्त तक  उन्होंने सारे जंगल में खोज की अपने पूरे जीवशास्त्र, वनस्पति शास्त्र के अध्ययन का आश्रय लिया परंतु एक भी वृक्ष ऐसा नहीं था जिसकी कोई उपयोगिता ही न हो। म्लान चेहरे से अपने गुरुकुल में लौट आये। अपनी नजर नीची कर गुरुदेव से बोले, गुरुदेव हम गुरुदक्षिणा नहीं दे सकते  | परंतु गुरुदेव का मुखमंडल तेजस्वी प्रकाश से अलोड़ित हो रहा था। वे बोले, मेरे प्यारे शिष्यों मुझे तो मेरी गुरुदक्षिणा मिल गई। सभी शिष्यों ने एक साथ कहा, गुरुदेव कैसे ? आज आप जान गये की सारे जंगल में एक भी वनस्पति ऐसी नहीं है जिसकी कोई उपयोगिता ही न हो  |हर एक वनस्पति का सृष्टि के सृजन मे महत्त्वपूर्ण स्थान है और आप सभी तो  दुर्लभ मानव शरीर ले के आये हैं तो आपकी कितनी महान भूमिका होगी।
परमपूज्य श्री माताजी प्रणित सहज योग हमें हमारी महानता से, हमारे अंतरंग की शक्ति से परिचित कराता है।  ये कहानी हम सभी के लिये और खासकर युवा शक्ति के लिये है। 'त्वम अमृतस्य  पुत्रा:' ऐसा शास्त्रों ने कहा है, अर्थात हमारे जीवन को अमृत जैसा मधुर और खुद को और समाज के लिए उपादेय बनाने के लिए आये हैं। श्री माताजी द्वारा प्रतिस्थापित सहजयोग हमें हमारे अंदर की असीम शक्ति के रहस्य से परिचित करवा कर हमें ऊर्जावान बनाता है, सकारात्मक बनाता है। आज बच्चे JEE, NEET, CET जैसी स्पर्धात्मक परीक्षाओं के लिए तैयारी करते हैं और अगर परिणाम अपेक्षा अनुरूप नहीं आता है तो निराश हो जाते हैं, अपने आपको कम आंकने लगते हैं और इस स्थिति में सहज योग कारगार साबित हो रहा है | सहज योग में जब व्यक्ति को, आत्मसाक्षात्कार प्राप्त होता है तो, प्रथम चक्र 'मूलाधार' उस कुंडलिनी शक्ति से प्लावित होता है। जब युवा शक्ति और सभी साधक नियमित ध्यान करते हैं  तो निर्विचारिता का आनंद उन सभी के चित्त को  सकारात्मक, आनंदमय और सबसे महत्वपूर्ण मंगलमय सुबुद्धि से भर देता है और इस आत्मसाक्षात्कार के प्रकाश में वे जान जाते हैं कि उन्हें कौन से क्षेत्र में जाना चाहिए। उन सभी की जागृत कुंडलिनी मां हर क्षण उन्हें संभालती है , उनका मार्गदर्शन  करती है | कुंडलिनी द्वारा प्रवाहित आनंद लहरियों का स्वाद चखने वाला युवा ,अपने आपसे प्यार करने लगता है ,निराशा के अंधेरों से बाहर आकर, अपने अंतर्जात गुणों का उपयोग कर, अपने लिए अच्छा रोजगार भी ढूंढ लेता है।  यह लेख पढ़ने वाले  सभी से, खासकर युवाशक्ति से, हम नम्र निवेदन करते हैं कि, आप अपना आत्मसाक्षात्कार प्राप्त कर श्री गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त करें। सहज योग सीखिए और अपने जीवन को प्रकाशमय  बनाईये |
नज़दीकी सहजयोग ध्यान केंद्र की जानकारी टोल फ्री नंबर 1800 2700 800 से प्राप्त कर सकते हैं। सहज योग पूर्णतया निशुल्क है।

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