सहजयोग देता है, संकल्प - विकल्प पर पूर्ण नियंत्रण
प. पू. श्रीमाताजी निर्मला देवी प्रणित' सहजयोग' एक आंतरिक योग है। इस योग की नींव अपने चित्त पर खड़ी है। पाँच मिनट शांत बैठकर आप अगर आपके चित्त का अवलोकन करेंगे तो आपको पता चल जायेगा कि अपना चित्त जो अपने मन से जुडा हुआ है, वो सदैव कुछ न कुछ संकल्प या विकल्प करता रहता है । हम सभी को लगता है कि हम जीवन में एक अच्छे इन्सान बनें, हमारा समाज में एक प्रतिष्ठित स्थान हो, हमें हमारे क्षेत्र में यश प्राप्त हो । परंतु जैसे ही कुछ अच्छा संकल्प करते है दूसरा मन बोलता है, क्या वाकई हमे यश प्राप्त होगा? जिस
किसी भी तथाकथित उद्देश्य की प्राप्ति के लिए हम प्रयासरत हैं, वो हमें प्राप्त होगा? और जैसे ही विकल्प हमारे मन में आता है तो वह हमारे शुद्ध संकल्प को छिन्नभिन्न कर देता है। हमें चिंता निराशा और भय से भर देता है। हम हमारे " उद्देश्य प्राप्ति' की ओर अग्रसर तो होते हैं, परंतु उस विकल्प के कारण हमारे प्रयास कमजोर हो जाते हैं और हम अपयशी हो जाते हैं। और सदैव इस संकल्प-विकल्प के दुष्चक्र में फंसे रहते हैं। हम आप को बता दें, कि सहजयोग ध्यान आपको इस चक्र से कैसे बचाता है? यह ध्यान केवल एक आध्यात्मिक क्रिया न होकर एक जीवन-पद्धति है जो हमें चित्त की एकाग्रता कैसे पाई जाए इसकी कला सिखाती है। सहजयोग में जब आपको आत्म साक्षात्कार प्राप्त होता है, तो आप को निर्विचारिता अर्थात अपने मन में कुछ क्षण के लिए एक भी विचार नहीं आना, इसे ही शून्य स्थिति कहते हैं, प्राप्त होती है। जब आप नियमित ध्यान करने लगते हैं, तो यह निर्विचारिता, आपको तत्क्षण प्राप्त होती है। जो भी काम हाथ में लेते हो उस काम के प्रति आप संपूर्ण एकाग्र हो जाते हो। यह काम करते हुए आप अपने आपको भी भूल जाते हो, और तो और इतना काम करने के बावजूद थकान का भी अनुभव नहीं करते। आप के हाथों व तालु के भाग से चैतन्य लहरियां बहने लगती हैं क्यूंकि, काम तो अपने · हाथ आप से कर रहे हैं पंरतु आपका चित्त 'ब्रह्मांडीय शक्ति से एकरुप हो जाता है, यही स्थिति समझाने के लिये भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कछुए का दृष्टांत दिया है। कछुआ जैसे ही कोई बाह्य संकट आता है तो आपने अवयवों को अंदर खींच लेता है, वैसे ही ध्यान करने वाला साधक अगर किसी भी बाह्य समस्या के प्रभाव में आता है तो वह अपना चित्त अपने सहस्त्रार चक्र पर एकाग्र कर ब्रह्मांडीय उर्जा से जुड़ा रहता है । वह ब्रह्मांडीय ऊर्जा ही उसकी समस्या का समाधान कर देती है और वह तो अपने चित्त को एकाग्र कर अपने आनंद में मस्त रहता है। आप भी इस जादुई ध्यान का अनुभव प्राप्त कर सकते हैं।
अपने आत्म साक्षात्कार को प्राप्त करने हेतु सहजयोग ध्यान केंद्र की जानकारी टोल फ्री नंबर 1800 2700 800 से प्राप्त कर सकते हैं।