सहजयोग, व्यष्टि से समष्टि बनने की आध्यात्मिक यात्रा है
अखण्ड मण्डलाकारं, व्याप्तं येन चराचरम् । तत्पदं दर्शितं येन, तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
सहजयोग एक अत्यंत सुंदर, सहज, सरल ध्यानपद्धति है, जो हमारे आध्यात्मिक, सामाजिक व शारीरिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मराठी में एक कहावत है, 'बहुत सुकृताची जोडी, तयी विठ्ठल आवडी' अर्थात हमारे पूर्वजन्मों के सुकृत्यों के कारण हम परमपिता परमेश्वर की ओर, इनकी अपरंपार महिमा की ओर आकृष्ट होते हैं। प. पू. श्रीमाताजी - कहते हैं, अगर एक बार अपनी इच्छा शक्ति जागृत कर आपने आत्मसाक्षात्कार माँगा तो आपके भीतर स्थित माँ स्वरूपिणी कुंडलिनी शक्ति उर्ध्वगामी होकर आपके आत्मदीप को प्रज्वलित कर देती है। प. पू. श्री माताजी प्रणित सहजयोग केवल आत्मसाक्षात्कार द्वारा मानवीय उत्थान की बात करता है। हमारा आत्मस्वरूप, परमात्मा का एक अंश, 'शिवांश है और हमारे भीतर आद्याशक्ति कुंडलिनी के रूप में हैं। यह शास्त्रों में वर्णित है और सहजयोग द्वारा अनुभूत है। प.पू.श्री माताजी कहते हैं एक बार जब आपको आत्मसाक्षात्कार प्राप्त होता है और नियमित ध्यान से जब आपका आत्मसाक्षात्कार पोषित और पल्लवित होता है तब एक बूंद सागर बन जाती है । आत्मा जगत के हर मानव के लिये सामूहिकता और प्रेम का स्त्रोत है। तब आपका चित्त उन सभी लोगों पर जाता है जो मुसीबत में हैं, जिन्हें मदद की जरूरत है। इस चित्त से। जो इतना आलोकित है, प्रबुद्ध है, आप यहीं बैठे बैठे उनकी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। ऐसे लोगो के साथ न युद्ध की जरूरत है, न हथियार की जरूरत है, न किसी / भौगोलिक सीमा विस्तार की जरूरत है..... यह एक विशेष समय है। जहाँ इतने सारे पुष्प है जो सच्चाई को खोज रहे हैं। सभी धर्मो मे इसका वर्णन किया गया है। तब हम किसी से इस बात पर नफरत नहीं करते कि वह इस धर्म में विश्वास करता है या किसी अन्य धर्म में। इसके विपरीत हम सभी धर्मों में विश्वास करते हैं। ये वही शक्ति है जिसके कारण एक बूंद सागर बन जाती है। व्यक्ति समष्टि बन जाता है।
प्रेम के हथियार से आप भी अपने हृदय में, परिवार और समाज में शांति स्थापित कर सकते हैं, सहजयोग के माध्यम से।
नज़दीकी सहजयोग ध्यान केंद्र की जानकारी टोल फ्री नंबर 1800 2700 800 यूट्यूब चैनल लर्निंग सहजयोगा से प्राप्त कर सकते हैं।

