व्यवहार में संतुलन और असंतुलन को‌ समझने की कला है सहज योग

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अपने दैनिक जीवन को जीते हुये हम लगातार अपने आसपास के  परिवेश व विपरित परिस्थितियों के वशीभूत हो कई अलग-अलग स्तरों पर प्रभावित होते रहते हैं- भावनात्मक रूप से, मानसिक रूप से और  कुछ मामलों में शारीरिक रूप से भी ।  यह उथल-पुथल अकसर तनाव या  शारीरिक बीमारियों का कारण बन जाती है।  क्रोध, अवसाद, चिड़चिड़ापन व निराशा इसके लक्षण‌ हैं। इनसे कई व्यावहारिक और शारीरिक समस्याएं भी होने लगती हैं। नींद, भूख, और ऊर्जा में कमी होने के साथ-साथ ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत होती है। रोज़मर्रा के बर्ताव या आत्म-सम्मान की भी कमी दिखती है। गहन अवसाद की स्थिति में आत्महत्या के विचार भी आ सकते हैं।
   असंतुलन के  कारणों पर ध्यान देने से कहीं अधिक महत्वपूर्ण यह होता है कि हम यह जान सकें कि हम संतुलित हैं या नहीं ।   व्यवहार में संतुलन और असंतुलन की पहचान करना और असंतुलन से उबरना सीखना आज के समय की सबसे बडी़ जरूरत है ।  सहज योग ध्यान की तकनीक से हम हमारे सूक्ष्म शरीर के तीनों चैनलों की, जिनका संबंध हमारे संतुलन और असंतुलन से है, उनका परिचय, उनके महत्व आदि का विस्तार से वर्णन व उसकी सीमाएं बड़ी आसानी से सीख लेते हैं।   यही है सहज योग ध्यान का प्रमुख ज्ञान। इस ध्यान के अभ्यास का भी सीधा असर हर मान‌व शरीर पर पड़ता है। 
 सहज योग के साधक जानते हैं कि असंतुलन का सबसे बड़ा कारण हमारे बांई ओर का असंतुलन है।  इस बारे में विस्तार से समझते हैं। मानव तंत्रिका तंत्र को तीन भागों में बांटा गया है: ईड़ा, पिंगला व सुषुम्ना नाड़ी। 
बांई ओर की नाड़ी ईडा नाड़ी है।  सूक्ष्म शरीर में इस नाड़ी को लेफ्ट सिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम कहते हैं। जब हम अपने भूतकाल का ज्यादा विचार करते हैं, भूतकाल की बीती बातों को सोचते रहते हैं,  भूतकाल के किसी बात को लेकर अपराध बोध से ग्रस्त‌ रहते हैं,  तब हमारी बांई नाड़ी या लेफ्ट सिम्पैथेटिक चैनल असंतुलित हो जाती है।  ऐसे लोग अवसाद ग्रसित, डरे हुये और चिंतित होते है।  ऐसे लोग हर समय दूसरों से बहुत ज्यादा उम्मीद रखते हैं और इन उम्मीदों  के पूरा ना होने पर निराश हो जाते हैं ।   ऐसे लोग मिलनसार नहीं होते हैं और‌  किसी भी चीज का आनंद नहीं ले सकते हैं। परिणामस्वरूप इसका दुष्प्रभाव उनके नौकरीपेशे पर भी पडता है। इसका सीधा असर उनके शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है और वे मानसिक विकार, माइग्रेन, दौरे(फिट्स), अवसाद और कैंसर से पीड़ित हो सकते हैं।‌‌  
 सहज योग ध्यान के माध्यम से जब ईड़ा नाड़ी संतुलित  होती है, हम आसपास की नकारात्मकता के बीच भी सकारात्मकता प्राप्त करने में सक्षम हो जाते हैं। बांई नाड़ी यानि ईडा नाड़ी  से "इच्छा शक्ति" मिलती है। यह इच्छाशक्ति ही है जो सुखद जीवन के लिए हमें प्रेरित करती है। ईड़ा नाड़ी के संतुलित होने पर अनावश्यक इच्छा हमपर हावी नहीं होती और हमारी पिंगला नाडी पर भी बोझ नहीं पड़ता और वो भी संतुलित रहती है। ईड़ा नाडी को संतुलित करने के लिए हम धरती माता से प्रार्थना करते हैं और अविश्वसनीय तरीके से हमारी नकारात्मकता धरा तत्व में विलिन होने लगती है। 
 ईडा नाड़ी को संतुलित कर हम पिंगला नाडी को भी संतुलित करते हैं ताकि हम बेकार की योजना बनाते हुये समय बर्बाद करने की जगह सहजता से प्रगति पथ पर अग्रसर हो सकें।  पिंगला नाड़ी को संतुलित करने में आकाश‌ से हमारी सहायता होती है।  
संतुलित होना आसान है बस जरुरत है सहज योग पद्धति से ध्यान करने की, प्रक्रिया सीखने की और अपना उद्धार करने की। 
सहज योग से जुड़ने और आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करने हेतु अपने नज़दीकी सहजयोग ध्यान केंद्र की जानकारी टोल फ्री नंबर 1800 2700 800 से प्राप्त कर सकते हैं। सहज योग पूर्णतया निशुल्क है।

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