सकारात्मक ऊर्जा ( पॉजिटिव एनर्जी ) के संचार का प्रत्यक्ष अनुभव है सहजयोग।
सहजयोग संस्थापिका परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी जी के अनुसार सहजयोग कोई नया मार्ग, धर्म या विधा नहीं बल्कि शास्त्रों में वर्णित जटिल सैद्धांतिक प्रक्रिया का सरल प्रायोगिक स्वरूप है। वेद, पुराण, गीता, उपनिषद आदि में जिस ज्ञान, भक्ति, सांख्य व योग आदि का संस्कृत भाषा में वर्णन है वह सामान्य मनुष्यों के लिए समझ पाना अत्यंत कठिन कार्य है तथा अनुवादकों ने भी इस ज्ञान को अपने अपने दृष्टिकोण से अनुवादित किया है। इससे कई प्रकार के भ्रम उत्पन्न होते हैं परंतु श्री माताजी ने विस्तार से इन विषयों को अपनी अमृतवाणी में वर्णित किया है वह भी अत्यंत सहज भाषा में। जो भी जिज्ञासु व सत्य की खोज करने वाले साधक हैं उन्हें अपने सभी प्रश्नों का हल श्री माताजी की अमृतवाणी में अवश्य ही प्राप्त होता है। सहज योग एक जीवन्त प्रक्रिया है जिसे हम अपने स्पंदनओं (वाइब्रेशन) के द्वारा स्वयं अनुभव कर सकते हैं। जब व्यक्ति इन प्रक्रियाओं को समझता है तो पाता है कि सभी धर्मों में वाइब्रेशंस का वर्णन है। मोहम्मद साहब, गुरु नानक देव जी, जीज़स क्राइस्ट सभी ने इन्हीं वाइब्रेशंस, परम चैतन्य तथा परम शक्ति का वर्णन किया है। आज के समय में सभी सकारात्मकता व नकारात्मकता की बात करते हैं इन विषयों पर ढेरों किताबें भी छपी हैं, परंतु कोई भी प्रभावी तरीके से यह नहीं समझा सकता कि पॉजिटिव एनर्जी के संचार से हम किस प्रकार जुड़ सकते है। या अपने आसपास की एनर्जी को कैसे समझा जा सकता है परंतु सहज योग में प्रत्येक उर्जा को चाहे वह नकारात्मक है या सकारात्मक हम अपनी उंगलियों पर, हथेलियों पर विवेक द्वारा सहज ही पहचान सकते हैं। सहज योग भौतिकता में रहते हुए आत्मिक अनुभव का योग है। यह व्यक्ति को अंतःकरण से स्वच्छ कर पवित्र बना देता है। बस एक शुद्ध व पूर्ण समर्पण के साथ अपने दोनों हाथ खोलकर श्री माताजी के समक्ष खड़े होने की देर है और आप तत्क्षण उस परम अनुभूति से साक्षात हो जाते हैं, जिसके लिए कई जन्मों की तपस्या लगती है। यह अनुभव सहज योग में किसी एक व्यक्ति का नहीं वरन् लाखों लोगों का है। श्री माताजी की अनुकंपा से व्यक्ति मन व शरीर दोनों की स्वस्थता को सहज ही में प्राप्त कर लेता है। अतः प्रत्येक उस व्यक्ति को जो आत्मा का परमात्मा से संबंध स्थापित करने का इच्छुक है उसे आदिशक्ति श्री माताजी की सहजयोग रुपी अनमोल भेंट का अनुभव एक बार अवश्य करना चाहिए।
जब व्यक्ति आत्मा के ज्ञान को प्राप्त कर लेता है तथा कुंडलिनी शक्ति की जागृति होती है तो वह सहज स्वभाव में स्थापित हो जाता है। सहज व्यक्ति सदैव ही भयमुक्त, चिंतामुक्त व आनंद में मग्न रहता है। श्री माताजी की कृपा से प्रत्येक परिस्थिति में विवेक, बुद्धि, धैर्य से उचित निर्णय कर पाने की क्षमता को प्राप्त कर लेता है।
सहजयोग से संबंधित जानकारी निम्न साधनों से प्राप्त कर सकते हैं। यह पूर्णतया निशुल्क है। टोल फ्री नं – 1800 2700 800 बेवसाइट - sahajayoga.org.in यूट्यूब चैनल – लर्निंग सहजयोगा