आत्म सुख को पाने का मार्ग है सहज योग
आत्मविनाशी यानि आत्मा को सुख न दे पाने वाले व्यवहार वे हैं जो हमें भावनात्मक, शारीरिक या मानसिक रूप से नुकसान पहुँचाते हैं। यह कभी कभार अंजाने में हो जाता है या हो सकता है कि आप ठीक-ठीक जानते हों कि आप क्या गलत कर रहे हैं, लेकिन कई इच्छायें इतनी प्रबल होती है कि उसे नियंत्रित नहीं किया जा सकता है यानि हम अपनी इच्छाओं के गुलाम हो जाते हैं।
बुरी आदतें जैसे रोज देर रात तक जागने की आदत के कारण स्ट्रेस बढ़ता है। इससे उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, डायबिटीज या डिप्रेशन जैसी समस्या की आशंका बढ़ सकती है। जरुरत से ज्यादा खाने से या फास्ट फूड अधिक खाने से मोटापा बढ़ता है। वजन ज्यादा होने पर शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी बढ़ता है, जिससे हृदय को नुकसान पहुंचता है। इन आदतों से बेबस व्यक्ति क्रोधी और चिड़चिड़ा भी हो जाता है जो हमारे अपने जीवन को त्रस्त कर देता है। नशे की आदत सबसे बड़ी गुलामी है।
दरअसल जब हम अपनी बुरी आदतों पर काबू पाने की कोशिश करते हैं तब हमारे दिमाग के कुछ हिस्से हमारे खिलाफ काम कर रहे होते हैं। मनोवैज्ञानिक कहते हैं, "ये आदतें हमारे दिमाग को कठोरता से जकड़े रखती हैं।" और मस्तिष्क का भाग उन चीज़ों के लिए तरसता रहता है जिसका विरोध करने की हम बहुत कोशिश कर रहे होते हैं।
पर हमेशा क्या हम अपनी बुरी आदतों का गुलाम बने रहेंगे? हमें इन बुराईयों से मुक्ति तो चाहिए ना! इस संबंध में हमारी परमपूज्य श्री माताजी ने दिनांक 26 अप्रेल 1993 के प्रवचन में हम सहज योगियों को यह निर्देशात्मक जिम्मेदारी दी है उन्होंने कहा कि, "हम नहीं कह सकते हैं कि कितने बचाये जायेंगे। क्या मनुष्य अपनी मूर्खता के कारण, अपनी विनाशकारी आदतों के कारण खो सकते हैं, जो उन्होंने बना ली है। लेकिन आपकी (सहज योगियों की) बहुत बड़ी जिम्मेदारी है ऐसा मत सोचो कि "मैं किसी काम के लिए अच्छा नहीं हूँ। " कभी नहीं, ऐसा कभी मत सोचो। आप सभी संत हैं और आप महान कार्य करने में सक्षम हैं।" महान कार्य यह है कि जो इंसान सहज योग से जुड़ा नहीं हैं उन्हें हम सहज योग बतायें। दरअसल ध्यान धारणा वो भी सहज योग पद्धति से जब हम करते हैं तो हमारी आत्मा जागृत होती है और हमारे सूक्ष्म शरीर की शक्तियां हममें सद्गुण जागृत करती हैं और आश्चर्यजनक बदलाव हममें आते हैं। हमारे हाथों से और सिर के तालु भाग से प्रवाहित होने वाला चैतन्य हमारे मस्तिष्क और विचारों को संतुलित करता है। तो क्यों न हम सहज योग को अपनायें। जीवन को सुंदर बनाने का सुंदर मार्ग है सहज योग।
सहज योग सरल है और पूर्णतया निशुल्क भी।
कुंडलिनी जागरण द्वारा आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करने तथा सहजयोग के विषय में जानकारी प्राप्त करने हेतु टोल फ्री नम्बर 18002700800 पर सम्पर्क करें।

