अन्तर्निहित शक्तियों को जागृत कर प्रज्ञावान बनाता है सहजयोग ध्यान

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सहजयोग मेडीटेशन की प्रणेता परम पूज्य श्री माता जी निर्मला देवी ने सहजयोग ध्यान पद्दति द्वारा मस्तिष्क के प्रज्ञावान होने का वर्णन किया । सहजयोग ध्यान की पद्धति मानव के सूक्ष्म शरीर तंत्र को जागृत कर मन मस्तिष्क चित्त और आत्मा को समवेत प्रकाशित करने की योजना पर आधारित है। वास्तव में संसार को अधिकांश मनुष्य ने तीन स्तरों पर अनुभव किया है जिससे हम शरीर, मन और बुद्धि कहते हैं यह तीनों त्रिआयाम कहलाते हैं परंतु कुछ प्रज्ञा पुरुषों ने इसे आत्मा के स्तर पर भी अनुभव किया है और पाया कि चौथा आयाम पूर्व उल्लिखित तीनों आयामों से निराला है इसी का अभ्यास कराता है सहजयोग | श्री माताजी ने कहा है कि हम लोग तीन अवस्थाओं में रहते हैं। 
जागृत अवस्था में हमारा ध्यान यहाँ वहाँ भटकता है, और हम हमारे चित्त को खराब करते हैं। दूसरा वह होता है, जिसमें हम सोते हैं l जब हम सोते हैं तब भी हमारे अतीत की और इधर उधर की बातें हमारे पास आती हैं। फिर हम और गहरी नींद में चले जाते हैं जिसे कहते हैं सुषुप्ति । इस स्थिति में आप गहरी नींद में होते हैं और सपने देखते हैं l जो कि सच भी हो सकते हैं। आप मेरा सपना भी देख सकते हैं। यह अचेतन का ईश्वरीय भाग है, जहाँ सुन्दर जानकारियां प्रदान की जाती हैं।
.....चौथी अवस्था को तुर्या अवस्था कहते हैं। दो अवस्थाएं और होती हैं। सहजयोगी तुर्या स्थिति में हैं जिसमें आप निर्विचार जागरूक अवस्था में होते हैं। जब कोई विचार नहीं है- जरा सोचिये जब कोई विचार नहीं होता - आपको अबोध बनना पड़ता है, आपको चेतना को जानना पड़ता है, आप किसी से मोह में नहीं रह सकते । तो यही निर्विचार की स्थिति जिसमें आप लोग हैं, यही तुर्या स्थिति है और इस स्थिति में यह चार पंखुड़ियां जो आपके अन्दर हैं, इन्हें आपके सहस्रार में खुलना होगा । ये आपके हृदय से मस्तिष्क तक जाती हैं और तब आप असल में यह समझ पायेंगे कि ईश्वर क्या हैं ? यह वह समय है जब आपको असली ज्ञान प्राप्त होता है । परम पूज्य श्रीमाताजी, महाशिवरात्रि पूजा प्रवचन से साभार l
आप स्नेह पूर्वक आमंत्रित है सहजयोग परिवार में  अपने नज़दीकी सहजयोग ध्यान केंद्र की जानकारी टोल फ्री नंबर 1800 2700 800 से प्राप्त कर सकते हैं या वेबसाइट sahajayoga.org.in पर देख सकते हैं।

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