बचपन को नकरात्मक ऊर्जा से संरक्षित रखता है सहजयोग

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परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी के अनुसार, सहज योग मात्र वयस्कों या अभिभावकों के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है अपितु बच्चों में भी सहयोग का विकास किया जाना चाहिए । अधिकांशतः सब यह सोचते हैं कि कुंडलिनी जागरण या आत्मा का योग होने के कारण इसका अभ्यास वयस्कों को करना चाहिए, परंतु श्री माताजी ने अनेक अवसरों पर अपने अमृत वचनों में स्पष्ट रूप से वर्णन किया है कि बच्चे स्वयं श्री गणेश का अंश होते हैं, उनमें अबोधिता तथा पवित्रता जैसे गुण अंतर्जात  ही होते हैं तथा बच्चे अनेक प्रकार की नकारात्मकताओं से स्वयं ही दूर होते हैं। यदि बालपन से उन्हें सहजयोग में उतारा जाए तो वह अल्प समय में ही सहज में प्रतिस्थापित हो जाते हैं ।जैसे - जैसे उम्र का विकास होता है मनुष्य के अंदर से अनेक गुणों का ह्रास होता जाता है परंतु यदि बालपन से ही बच्चे सहज जीवन का अंग होते हैं, तो उनमें विवेकशीलता, बुद्धिमत्ता तथा अनुशासन सदैव बना रहता है। श्री माताजी के अनुसार, बच्चों की शिक्षा का अभिभावकों को विशेष ध्यान रखना चाहिए तथा उन्हें उनकी रुचि अनुसार विद्या अध्ययन का अवसर प्रदान करना चाहिए। सहजयोग विद्यार्थियों में एकाग्रता स्थापित करने में अत्यंत मददगार होता है साथ ही समाज में व्याप्त अनेक बुराइयों व नकारात्मक चीजों से सहजयोगी बालक सदैव संरक्षित रहता है। अनेक ऐसे उदाहरण हैं जिसमें आत्म साक्षात्कारी  सहज योगी बालकों ने अपने मनचाहे क्षेत्र में उच्च सफलताएं अर्जित कर अपना कैरियर बनाया है । मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ बच्चे ही स्वस्थ समाज का  निर्माण करने में सक्षम हो सकते हैं अतः व्यक्ति में सहज योग की प्रतिष्ठा बचपन में ही की जानी चाहिए ताकि वे श्री माता जी की कृपा से समाज के जागरूक नागरिक होने का कर्तव्य निभा सकें तथा धर्म की स्थापना में सहायक हों।   
पूर्णतः नि:शुल्क सहजयोग के अनगिनत लाभों से लाभान्वित होने हेतु  जानकारी निम्न साधनों से प्राप्त कर सकते हैं टोल फ्री नं – 1800 2700 800 बेवसाइट‌ - sahajayoga.org.in

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