अनेक प्रकार के दुर्व्यसनों तथा नशे की आदत  से मुक्ति दिलाता है सहजयोग

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न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते।
तत्स्वयं योगसंसिद्धः कालेनात्मनि विन्दति।।              

भगवद्गीता 


परम पूज्य श्री माताजी प्रणीत सहयोग हमें शुद्ध पवित्र निर्मल आत्मज्ञान प्रदान करता है भगवत गीता से लिए गए उपरोक्त श्लोक का अर्थ है कि इस संसार में आत्मज्ञान से बढ़कर के समान पवित्र निसंदेह कुछ भी नहीं इस ज्ञान को कितने ही कल से कर्मयोग द्वारा शुद्ध अंत:करण प्राप्त करने वाला मनुष्य अपने आप ही आत्मा में पा लेता है। 
परम पूज्य श्री माताजी कहते हैं कि आपका कर्मफल पूर्ण होने का समय आ गया है। जब कोई भी साधक श्री माताजी के समक्ष बैठकर आत्मसाक्षात्कार मांगता है तथा सभी को क्षमा कर अपना हृदय स्वच्छ कर अपना चित्त सहस्त्रार चक्र पर स्थिर कर कुछ क्षण शांत बैठता है तो उसके पिंड में स्थित शक्ति वायु रूप लेकर रीढ़ की हड्डी के समानांतर स्थित सुषुम्ना नाड़ी से प्रवाहित होती है और उसके हाथों से शीतल चैतन्य लहरियां बहने लगतीं हैं। इन शीतल चैतन्य लहरियों का अनुभव ही आत्मसाक्षात्कार प्राप्ति का संकेत होता है।
तत्पश्चात् नियमित ध्यान से जब आपकी कुंडलिनी मां भवसागर को पार करती है तो धर्म आपके हाथों से चैतन्य लहरियों के रूप में  प्रवाहित होने लगता है । इस चैतन्य में धर्म को स्थापित करने की क्षमता होती है। इस प्रकार का साधक श्री माताजी की आज्ञा से किसी भी तत्व को चैतन्यित कर सकता है। इस चैतन्य का उपयोग जल के माध्यम से करना अत्यंत सहज, सरल व प्रभावशाली होता है। श्री माताजी के समक्ष चैतन्यित जल को जब कोई व्यक्ति ग्रहण करता है तो धर्म स्वयं ही उसके भीतर जागृत हो जाता है तथा उचित - अनुचित का भेद स्पष्ट होने लगता है। ऐसा व्यक्ति किसी भी प्रकार के नशे जैसे शराब, तंबाकू,  ड्रग्स आदि  का त्याग बड़ी ही आसानी से कर देता है। इस चैतन्यित जल का प्रयोग करने से हमारे सूक्ष्म शरीर में चक्रों व नाड़ियों में संतुलन स्थापित होता है जिससे अनेक प्रकार के रोग सहजता से ठीक हो जाते हैं। अनगिनत उदाहरण सहजयोग में मौजूद हैं जिसमें साधकों ने सहजयोग के नियमित अभ्यास द्वारा अनेक साध्य व असाध्य रोगों से मुक्ति प्राप्त की है। परंतु सहजयोग कोई झाड़ फूंक अथवा तंत्र - मंत्र द्वारा रोगों को ठीक करने की संस्था नहीं है। सहजयोग सनातन ऋषियों की वैज्ञानिक पद्धति का सर्वोच्च ज्ञान है जिसका मुख्य व एकमात्र उद्देश्य आत्मज्ञान की प्राप्ति है । सूक्ष्म शरीर का ज्ञान तथा नियमित ध्यान अभ्यास से जो संतुलन हमारे भीतर स्थापित होता है उसका सह उत्पाद रोगों से मुक्ति है।
इस प्रकार श्री माताजी प्रणित सहजयोग अपना अंतरंग स्वच्छ कर हमें सकारात्मक ढंग से पूर्ण परिवर्तित कर जीवन का उच्चतम आनंद प्रदान करता है।
अपने आत्म साक्षात्कार को प्राप्त करने हेतु अपने नज़दीकी सहजयोग ध्यान केंद्र की जानकारी टोल फ्री नंबर 1800 2700 800 से प्राप्त कर सकते हैं ।

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