दिखावे से दूर यथार्थ में जीना सिखाता है सहज योग
यह समय एक ऐसा समय है जब ज्यादातर लोग स्वयं को सर्वश्रेष्ठ सिद्ध करने की दौड़ में शामिल हैं। बच्चे पैदा होने से, जन्मदिन, विवाह और मृत्यू तक सभी यह प्रयास करते हैं कि आयोजन बढिया हो, कहीं कोई कमी किसी को नज़र ना आये।
प्रदर्शनकारी व्यक्ति अपने सभी आयोजनों को अपनी नजरों से ना देखकर दूसरों की नजरों से देखता है। यहाँ हम स्वयं से इस तरह दूर होने लगते हैं कि हमें इसका आभास भी नहीं होता। खुशी और गम हमारे अपने हैं, उसके उद्गार में किसी दिखावे की आवश्यकता नहीं है। हर व्यक्ति की अपनी एक कार्यक्षमता या सीमा होती है, अपनी क्षमता के अनुसार जितना प्राप्त होता है उतने में खुश होना श्रेयकर है।
इसके विपरीत जब इंसान अपनी काबिलियत बढ़ाने में सक्षम नहीं होता है, तो दिखावा करना शुरू कर देता है। यह साबित करने के लिए कि वह किसी से कम नहीं है परंतु यह दिखावा हमें खुशी और संतुष्टि नहीं दे सकता। हम जैसे हैं वैसे ही रहना है क्योंकि अपनी हैसियत के हिसाब से आयोजन करना हमें आत्मसंतुष्टि देगा। जबकि दिखावे के लिए किया गया हर प्रयोजन अंहकार को जन्म देगा।
परंतु परमपूज्य श्री माताजी निर्मला देवी प्रणीत सहज योग में हमारा मन परिवर्तन होता है व हम इतने अधिक सहज व संतुष्ट हो जाते हैं कि हम जैसे हैं वैसे ही रहने में सुख महसूस करते हैं। सहज ध्यान हमें स्वंय को देखना सिखाता है, हमारे चक्रों को चैतन्य से पोषित कर हमारे गुणों से हमारा आत्मसाक्षात्कार करवाता है। सहज योग में ऐसे सच्चे और ईमानदार व्यक्ति हैं जो जैसा बोलते हैं वैसा ही करते हैं। उनमें दिखावा नहीं के बराबर होता है। ऐसे व्यक्ति देश के लिए भी आशीर्वाद हैं।
वास्तव में आनंद का कोई मोल नहीं होता। आनंद बांटने के लिए सिर्फ आनंदित होना ही काफी है। हम आनंद में रहेंगे तो हमारे साथ वाले भी आनंदित ही होंगे। सहज योग से आत्मा का जो सुख मिलता है वह हर सुख से परे है। श्री माताजी कहती हैं 'आत्मेनव आत्मन: संतुष्ट' यानि आत्मा से ही आत्मा तुष्ट हो जाती है वैसे ही जैसे अमृतपान के बाद फिर किसी और चीज की जरुरत नहीं होती। जब हम परमात्मा के साम्राज्य के अंग हो जाते हैं तब हम अपने सुख व शांति के लिए परमात्मा के आशीर्वाद के पात्र हो जाते हैं।
दिनाकं 24 नवंबर 1980 के अपने एक प्रवचन में परम पूज्य श्री माताजी ने कहा, 'सहज योग एक ऐसी चीज़ है जो आपकी वास्तविकता को आपके भीतर स्थापित करती है, जिससे आप सुरक्षित महसूस करते हैं क्योंकि आपकी वास्तविकता सुंदर है। यह आनंद है और फिर आप इससे भागना नहीं चाहते। यही हमें समझना है, कि हम अपनी वास्तविकता को प्राप्त करने, खुद को जानने के लिए यहाँ हैं।'
श्री माताजी की बातों को आत्मसात करने हेतु चलिये सहज योग ध्यान से जुड़ते हैं। आप आत्मसाक्षात्कार को प्राप्त करने हेतु अपने नज़दीकी सहजयोग ध्यान केंद्र की जानकारी टोल फ्री नंबर 1800 2700 800 अथवा यूट्यूब चैनल लर्निंग सहजयोगा से प्राप्त कर सकते हैं। सहज योग पूर्णतया निशुल्क है।

