सहजयोगी सदैव चैतन्य द्वारा आकस्मिक आपदाओं से सुरक्षित रहता है

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बंधन यानि हमारा सदैव ईश्वर के बंधन में रहना या चैतन्यमयी कवच को धारण कर स्वयं को सुरक्षित करना।  हमने ध्यान करना शुरू किया,चैतन्य को ग्रहण करना भी शुरू किया। पर, जरूरत है इस चैतन्य को जो हमारे अंतर के सभी चक्रों को प्रकाशित करता है, हमें सर्वगुण संपन्न बनाता है, उसी चैतन्य से अपने  चारों ओर ऑरा का कवच बनाना और चक्रों को सुरक्षित करना।  श्री माताजी ने अपने साधकों के लिये सभी उपाय किये हैं एवं हमें उन उपायों से अवगत भी कराया है।  
जैसे ही हम ध्यान करना शुरू करते हैं हमारे चक्र स्वच्छ होना शुरू हो जाते हैं।  जितनी तेजी से हमारे चक्र शुद्ध होते हैं व हम सकारात्मक होने लगते हैं परंतु उतनी ही तेजी से  नकारात्मकता के प्रभाव में आकर उनके अशुद्ध होने की संभावना भी बनी रहती है।  इसीलिये श्री माताजी ने हमें सदैव बंधन में रहने का उपदेश दिया है।  श्री माताजी कहती हैं कि जैसे सफेद वस्त्र में कोई दाग लगे तो वह उठकर दिखाई देता है लेकिन बदरंग या रंगीन कपडों में वो दाग दिखाई नहीं देता।  वैसे ही चक्र शुद्धि वाले सहजी को भी कोई भी नकारात्मकता जल्दी ही लग सकती है।  किसी भी बुरी बात का या बुरे व्यवहार का असर हमपर बहुत जल्दी हो सकता है।  इसीलिये, हमारे लिए यह अनिवार्य है कि हम सदैव बंधन में रहें। 
यह बंधन क्या है, कैसे है?  यह भी एक विचारणीय प्रश्न है.    हमने देखा है कि किसी भी भगवान या किसी संत पुरूष के चारों ओर एक प्रकाश की परिधि दिखाई देती है,  इसे औरा कहते हैं।  कुंडलिनी शक्ति के जागृत होने एवं सभी चक्रों के प्रकाशित होने पर सहज योगियों के चारों तरफ भी एक अदृश्य औरा बनाता है जो हमें दिखाई तो नहीं देता है पर वो होता है। यह ऑरा बंधन लेने पर हमारे चारों ओर निर्मित होता है।  हमें अपने को इस औरा के बीच सुरक्षित रखना है,   अपने आपमें अपनी शक्तियों को सहेजकर रखना है।  अभी अभी हमने चैतन्य पाना शुरू किया है तो हमें इसका संरक्षण भी करना होगा।  जैसे जैसे हम ध्यान में गहन होते  जाते हैं हमारे चारों ओर का प्रकाश भी गहन होता जाता है। 
बंधन सिर्फ चक्र को नहीं बल्कि पूरे शरीर को सुरक्षित रखता है, कई प्रकार के संकटों से हमें बचा लेता है।  सहज योग में सहजयोगियों के कई ऐसे अनुभव हैं जिसमें उन्होंने बताया है आने वाला संकट सिर्फ अपना आभास देकर टल गया।  घर से बाहर निकलने के पहले सभी सहज योगियों को बंधन लेना ही चाहिये।  ऐसा करने से हम कई आकस्मिक अपघात से बचे रहते हैं।    साथ ही हमें रात को सोने से पहले और सुबह उठते से ही बंधन लेना चाहिये।    
तीन बार कुंडलिनी उठा,लिया है बंधन सात
सुरक्षित तन और मन हुआ, मॉं अद्भुत तेरी सौगात 
अपने नज़दीकी सहजयोग ध्यान केंद्र की जानकारी टोल फ्री नंबर 1800 2700 800 या वेबसाइट www.sahajayoga.org.in से प्राप्त कर सकते हैं। सहज योग पूर्णतया निशुल्क है।

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