नवरात्रि के पहले दिन श्री माताजी निर्मला देवी जी का प्रवचन: आत्म-जागृति और मातृशक्ति का महत्व
इंदौर, 03 अक्टूबर 2024: नवरात्रि के शुभ अवसर पर, श्री माताजी निर्मला देवी जी के प्रवचन में आत्म-जागृति, मातृशक्ति, और आध्यात्मिक उन्नति के महत्व पर प्रकाश डाला गया। उनके अनुसार, नवरात्रि का पहला दिन कुंडलिनी शक्ति के जागरण और मातृत्व के आदर्शों का सम्मान करने के लिए समर्पित है।
श्री माताजी ने अपने प्रवचन में कहा, "नवरात्रि केवल देवी की बाहरी पूजा का पर्व नहीं है, बल्कि यह आत्म-जागृति और आध्यात्मिक साधना का समय है। हमारी आंतरिक शक्ति, जिसे कुंडलिनी शक्ति कहा जाता है, हर व्यक्ति के भीतर सुप्त अवस्था में होती है। इसका जागरण ही असली आत्म-साक्षात्कार है।"
उन्होंने नवरात्रि के पहले दिन के महत्व को रेखांकित करते हुए मातृत्व शक्ति की भूमिका पर भी जोर दिया। उन्होंने बताया, "देवी दुर्गा के विभिन्न रूप मातृत्व और शक्ति के प्रतीक हैं। हर महिला के भीतर मातृत्व की भावना होती है, जो केवल संतानों तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज और विश्व के कल्याण के लिए होती है।"
श्री माताजी ने श्रद्धालुओं को प्रेरित किया कि इस नवरात्रि के अवसर पर वे अपने भीतर की नकारात्मकताओं से मुक्त होने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि देवी की पूजा केवल शक्ति प्राप्ति के लिए नहीं, बल्कि सही मार्गदर्शन और आत्म-शुद्धि की प्रार्थना के साथ होनी चाहिए।
उनके अनुसार, नवरात्रि आत्म-उन्नति का पर्व है और इस अवसर पर हमें अपने जीवन में संतुलन और शांति स्थापित करने की दिशा में कदम उठाना चाहिए। श्री माताजी ने कहा, "यह समय है जब हमें अपने भीतर की कमियों को पहचानकर उन्हें दूर करने का प्रयास करना चाहिए। देवी की कृपा से हम अपनी कुंडलिनी शक्ति को जागृत कर सकते हैं और आत्मज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।"
नवरात्रि के पहले दिन के इस प्रेरणादायक प्रवचन ने श्रद्धालुओं को आत्म-जागरण, मातृत्व शक्ति और शुद्धि के महत्व को समझने के लिए प्रेरित किया।
(रिपोर्ट: रंजीत टाइम्स न्यूज़ ब्यूरो)