पृथ्वी तत्व - मूलाधार चक्र- श्री गणेश के समन्वय से ही आत्मसाक्षात्कार संभव

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सहज योग प्रणेता परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी द्वारा प्रदत्त ज्ञान से यह स्पष्ट होता है कि सुगंध के कारणात्मक तत्व से पृथ्वी का सृजन हुआ है।   सौंधी खुशबू पृथ्वी का सबसे बड़ा गुण है। पृथ्वी का शरीर भौतिक तत्व की अभिव्यक्ति है। ‌  पृथ्वी का अपनी धुरी पर घूमना और उसकी गुरुत्वाकर्षण शक्तियां पृथ्वी की गतिशील मनोदशा के प्रभाव से घटित होता है। पृथ्वी का गुण पृथ्वी पर रहने वाले मानवों की धर्म शक्ति से अभिव्यक्त होता है।  पृथ्वी के धारक स्वरूप की अभिव्यक्ति उनकी चुंबकीय धुरी के माध्यम से होती है। 
     श्री गणेश हमारे सातों चक्रों के  पहले चक्र मूलाधार के शासक देवता हैं।  पृथ्वी के तत्व से आदिशक्ति ने श्री गणेश का सृजन किया और उन्हें मूलाधार चक्र पर स्थापित किया।  मां कुंडलिनी का स्थान मूलाधार से ऊपर‌ है और मां कुंडलिनी तब तक जागृत नहीं होती, जब तक साधक के अंदर श्री गणेश के गुण स्थापित नहीं होते।  अबोधिता और शुद्ध बुद्धि श्री गणेश का विशेष गुण है।   जब साधक में ये गुण स्थापित होते हैं तब मां कुंडलिनी  सुषुम्ना‌ नाड़ी से ऊपर की ओर गतिशील होती है और साधक आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करता है। 
     मां धरा की चुंबकीय शक्ति हमारे अवगुणों को अपने में समाहित कर हमें सद्गुणी बनाती है।  मूलाधार चक्र को संतुलित करने के लिए सहज योग ध्यान विधि के अनुसार साधक धरती पर बैठकर अपने दोनों हाथ भी धरा पर रखकर ध्यान करता है, तब साधक की प्रार्थना पर उसके अवगुण धरा तत्व में विलीन होने लगते हैं या यूँ कह सकते हैं कि धरती माँ  साधक की नकारात्मकताओं को अपने में खींच लेती है।  इस प्रकार श्री गणेश के गुणों को प्राप्त करने में धरती माता मदद करती हैं। 
मूलाधार चक्र जब जागृत होता है तब साधक को अपने शरीर से फूलों के मधुर सुगंध और महक की अनुभूति होती है।  यह घटना पृथ्वी तत्व से मूलाधार चक्र के जुड़ाव‌ के कारण होती है। 
   श्री गणेश का अपनी माँ गौरी ( कुंडलिनी शक्ति) से पावन संबंध सृष्टि के जीवन का सार है।    मूलाधार का संस्कृत में अर्थ  'जीवन‌ वृक्ष' है। जिस प्रकार वृक्ष के जड़ में जल देने से वृक्ष ऊपर की ओर बढ़ता है वैसे ही हमारे अंतर का जड़ मूलाधार चक्र है जो ध्यान की जीवनदायिनी यात्रा में महत्वपूर्ण है क्योंकि ध्यान की यात्रा भी यहीं से शुरु‌ होती है। अबोधिता सदैव सदाचारी शुद्ध जीवन को ढूढ़ती है तथा आत्मसाक्षात्कार के उपरांत हमें कोई भी अपवित्र या असहज कार्य करने की इच्छा नहीं होती है।
        चलिये सहज योग से जुड़ धरती माँ, मूलाधार चक्र और श्री गणेश के समन्वयता को आत्मसात करते हैं और जुड़ते हैं सहज योग‌ से।  सहज योग निशुल्क भी है और आसान‌ भी सहजयोग ध्यान केंद्र की जानकारी हेतु टोल फ्री नंबर 1800 2700 800 वेबसाइट www.sahajayoga.org.in

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