सृष्टि में सौंदर्य, आनंद व प्रेम  की अनुभूति ही शिव हैं : श्री माताजी

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श्रावण सोमवार विशेष

शिव जी महायोगी हैं और उनके बारे में हम जानते हैं कि वे सदैव ही अपने आनंद में, समाधि में रत रहते हैं। वे सृष्टि के निर्माण की इच्छा तो करते हैं पर निर्माण व विकास की प्रक्रिया के प्रति साक्षी स्वरूप रहकर उससे अलग रहते हैं परंतु वे समस्त चराचर में स्पंदन व प्राण स्वरूप उपस्थित हैं। अतः शिव तत्व प्रेम, आनंद व सौंदर्य के रूप में समस्त सृष्टि में व्याप्त रहता है।
    सहजयोग संस्थापिका श्री माताजी निर्मला देवी जी ने श्री शिव का वर्णन कुछ इस प्रकार किया है कि,
   "शिवजी एक परम सन्यासी हैं वह अतुलनीय है उनका वर्णन शब्दों से नहीं कर सकते शिव सर्वदा पवित्र एवं निष्कलंक हैं। प्रेम के सिवाय शिव कुछ भी नहीं। प्रेम सुधारता है, पोषण करता है और आपके हित की कामना करता है। शिव आपके हितों का ध्यान रखते हैं प्रेम से जब आप दूसरों के हितों का ध्यान रख रहे होते हैं तो जीवन का सारा ढांचा ही बदल जाता है आप वास्तव में जीवन का आनंद उठाते हैं।
        ...... श्री ब्रह्मदेव द्वारा रचित तथा श्री विष्णु द्वारा विकसित की गई हर वस्तु को सौंदर्य प्रदान करना शिव का गुण है।  सौंदर्य संवेदना की रचना का सूक्ष्म कार्य उन्हीं का है। भक्ति का आनंद भी शिव की देन है।"
  ( इटली, 17/2/1991)
      वे नटराज हैं। नृत्य- संगीत का प्रादुर्भाव उन्हीं के आनंद की देन है। सृष्टि में प्रमुख तीन तत्व सौंदर्य, आनंद व प्रेम  की अनुभूति ही शिव की उपस्थिति का द्योतक है परंतु आत्म ज्ञान के अभाव में हम इस अनुभूति को अनुभव ना करके भौतिकता में खो जाते हैं। 
      सहजयोग में श्री माताजी की कृपा में कुंडलिनी जागरण व आत्म साक्षात्कार की प्राप्ति शिव के श्री चरणों में लय होने का एक सहज मार्ग है।
कुंडलिनी जागरण द्वारा आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करने हेतु टोल फ्री नम्बर  18002700800 पर सम्पर्क करें।

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