स्वयं को हीरे जैसे तराशने की शक्ति प्रदान करते हैं श्री गणेश

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 प्रणम्य शिरसा देवम् गौरीपुत्रं विनायकं भक्तावासं स्मरे नित्यम् मायुकामार्थ सिद्धये ।।  संपूर्ण भारतवर्ष इस समय श्री गणेशोत्सव के रंग में रंगा हुआ है। बड़े धूम-धाम, श्रद्धा, भक्ति और हर्षोल्हास से यह पर्व मनाया जा रहा है। श्री गणेश जी की आराधना कर हम सभी उनसे हमारा धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष सफल हो ऐसी विनम्र प्रार्थना करते हैं। प. पू. श्री माताजी कहते हैं कि, संपूर्ण ब्रम्हांड की रचना करने से पूर्व श्री गणेश की रचना श्री आदिशक्ति द्वारा की गयी। श्री गणेश का अर्थ है पावनता, पवित्रता। किसी भी चीज का सृजन करने से पहले, आवश्यक है कि वहाँ का वातावरण पवित्र हो जाये। उदाहरणार्थ अगर हमें पेड़ लगाना है तो वहां की जमीन स्वच्छ करनी पड़ेगी, उसे वहाँ पानी, प्रकाश की योजना है कि नहीं ये देखना पड़ेगा, तभी इस में बीज से पौधा और पौधे से पेड़ बन सकेंगे। 
        प. पू. श्री माताजी कहते हैं कि आपको अगर श्री गणेश का सृजन अपने अंदर करना है तो आपको आपकी शुद्ध इच्छाशक्ति जागृत कर आत्मसाक्षात्कार मांगना होगा। श्री गणेश का स्थान हमारे सूक्ष्म शरीर में सुषुम्ना नाड़ी के निचले छोर पर प्रथम चक्र मूलाधार में है।अपना गणेश तत्व जाग्रत करने के लिये गणेशोत्सव के इस पावन पर्व में आप हृदय से प्रार्थना कीजिये, श्री माताजी, हमें हमारा आत्मसाक्षात्कार प्रदान कीजिये। हमारे  मूलाधार में स्थित श्री गणेश को जागृत कर हमें उनके सारे गुण प्रदान कीजिये। आपकी इस प्रार्थना मात्र से आपकी कुंडलिनी शक्ति उर्ध्वगामी होकर, आपको शीतल चैतन्य लहरियां प्रदान करेगी। श्री आद्यशंकराचार्य जी ने इसे शीतल चैतन्य लहरियों को 'सलिलं सलिलं' कहा है । हम सभी में इस शक्ति को पाने की या श्री गणेश को प्राप्त करने की शुद्ध इच्छा सदैव जाग्रत रहती है कैसे? हम सभी को अच्छा बनना, अपना एक सुंदर, संतुलित,यशस्वी, बुद्धिमान व्यक्तित्व अच्छा लगता है। आत्मसाक्षात्कार प्राप्ति के पश्चात् जब हमारा गणेश तत्व जागृत होता है तो  हम बच्चे जैसे अबोध बन जाते हैं, एक बच्चा जैसे सभी षड्‌रिपुओं से अनायास ही मुक्त रहता है वैसे ही व्यक्ति अबोध, पावन, मंगलमय और विवेकवान बनता है। उसका गणेश तत्व जब आज्ञा चक्र को लांघता है तो वह व्यक्ति अपने अहंकार और प्रति अहंकार पर धीरे धीरे विजय प्राप्त करता है। अपने चित्त का एक आलोचक की तरह - परीक्षण कर स्वयं को सदैव पावन रखने का प्रयास करता है। और इस दैवीय यात्रा में वह श्री आदिशक्ती द्वारा संरक्षित किया जाता है। आपको भी इस गणेशोत्सव में अपने अंत: स्थित श्रीगणेश को जानना है तो आज ही सीखिए सहजयोग ध्यान।
आत्मसाक्षात्कार  को प्राप्त करने हेतु अपने नज़दीकी सहजयोग ध्यान केंद्र की जानकारी टोल फ्री नंबर 1800 2700 800 से प्राप्त कर सकते हैं या वेबसाइट www.sahajayoga.org.in पर देख सकते हैं।

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