श्री माताजी निर्मला देवी – आत्मबोध की ज्योति

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गुरु पूर्णिमा विशेष


गुरु पूर्णिमा भारत की आध्यात्मिक परंपरा का एक प्रमुख पर्व है, जब शिष्य अपने गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। इस पावन अवसर पर हम श्रद्धापूर्वक स्मरण करते हैं श्री माताजी निर्मला देवी को, जिन्होंने सहज योग के माध्यम से आत्मबोध और आंतरिक शांति का मार्ग संसार को दिखाया।
श्री माताजी ने यह स्पष्ट किया कि सच्चा गुरु वही होता है जो अपने शिष्यों को स्वतंत्रता प्रदान करे, उन्हें आत्मा का साक्षात्कार कराए, और उन्हें अपने भीतर स्थित चैतन्य शक्ति से जोड़ दे। उन्होंने कहा था:
"आपमें शक्ति है, बस जागरूकता की आवश्यकता है। गुरु का कार्य है आपको उस शक्ति का अनुभव कराना।"
सहज योग की स्थापना कर श्री माताजी ने करोड़ों लोगों को ध्यान, आत्म-साक्षात्कार और आत्म-शुद्धि का सरल मार्ग दिया। उन्होंने कभी भी अंधश्रद्धा या अनुकरण की अपेक्षा नहीं की, बल्कि हर व्यक्ति को आत्म-गुरु बनने की प्रेरणा दी।
गुरु पूर्णिमा का वास्तविक अर्थ श्री माताजी के शब्दों में:
गुरु न केवल शिक्षा देता है, वह चेतना को जागृत करता है।
सच्चा गुरु आपको अपने भीतर झांकने और अपनी आत्मा को पहचानने की क्षमता देता है।
जो दूसरों की आत्मा में प्रकाश जलाए, वही सच्चा गुरु है।
गुरु पूर्णिमा पर श्री माताजी के चरणों में यह संकल्प लें कि हम केवल उपदेश नहीं, आत्मिक अनुभव की ओर अग्रसर होंगे। हम दूसरों के भीतर ईश्वर की उपस्थिति को पहचानेंगे और प्रेम, करुणा, और शांति के मार्ग पर चलेंगे।

श्री माताजी निर्मला देवी को शत् शत् नमन।
गुरु पूर्णिमा की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
ॐ त्वमेव मार्ग दर्शकः।

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