SIR अभियान से मची दहशत, 500 बांग्लादेशी जीरो लाइन के पास फंसे
कोलकाता। पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश की सीमा से लगे हाकिमपुर बॉर्डर आउटपोस्ट (उत्तर 24 परगना) पर पिछले कुछ दिनों से असामान्य हलचल दिख रही है। सड़क किनारे झुंड बनाकर बैठे महिलाओं, पुरुषों और बच्चों के चेहरों पर भय साफ झलकता है। इनके पास पड़े बैग, कंबल और बक्से बताते हैं कि वे जल्दबाजी में अपना घर छोड़ कर आए हैं- केवल एक उद्देश्य के साथ कि उन्हें वापस बांग्लादेश लौटना है। संख्या इतनी ज्यादा बढ़ रही है कि अधिकारी इस उलट पलायन बता रहे हैं। यानी पहले ये लोग अवैध तरीकों से भारत में पलायन करके आए और अब भारत से भागने में लगे हैं।
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए अब्दुल मोमिन नाम के एक शख्स ने बताया कि वह पांच साल पहले सतखीरा जिले से भारत में दाखिल हुथा। उन्होंने कहा कि एक दलाल को पैसे देकर आए थे। हम हावड़ा के डोमजूड़ में रहते थे। जब SIR शुरू हुआ तो डर लगने लगा। सुना कि BSF वापस भेज रही है, इसलिए पत्नी और दो बच्चों के साथ सुबह-सुबह यहां आ गए।
पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा पर नाटकीय घटना ने राजनीतिक विवाद को नई ऊंचाई दे दी है। लगभग 500 अवैध बांग्लादेशी नागरिक विशेष गहन संशोधन (SIR) अभियान के डर से अपने देश लौटने की कोशिश में जीरो लाइन पर फंस गए हैं। ये लोग कोलकाता के उपनगरीय इलाकों में वर्षों से छिपकर रह रहे थे। बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) ने इन्हें भारत में वापस आने से रोक दिया, जबकि बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) ने इन्हें बांग्लादेश में प्रवेश करने से इनकार कर दिया। यह घटना चुनाव आयोग के मतदाता सूची सफाई अभियान के बीच हुई है, जिसे विपक्षी दल भाजपा अवैध घुसपैठ के खिलाफ सख्त कदम बता रही है, वहीं तृणमूल कांग्रेस (TMC) इसे 'राजनीतिक साजिश' करार दे रही है।
एक महिला ने कहा कि दस साल पहले हम न्यू टाउन में रहने आ गए थे। लेकिन अब NRC की बात सुनकर डर लगा। मेरे पास भारतीय दस्तावेज नहीं हैं। हालांकि NRC असम में लागू है, लेकिन तृणमूल कांग्रेस का आरोप है कि चुनाव आयोग का SIR पश्चिम बंगाल में NRC का बैकडोर तरीका है। महिला ने बताया कि वह घरेलू सहायक के रूप में 15,000 रुपये महीने कमाती थी, जबकि उसके पति मैनुअल स्कैवेंजिंग का काम करते थे- उनके पास भारतीय वोटर कार्ड और आधार दोनों हैं। लेकिन मेरे पास कुछ नहीं है इसलिए लौट रही हूं। BSF अधिकारियों के मुताबिक, पिछले एक सप्ताह में 400 से अधिक लोग हाकिमपुर चौकी पहुंच चुके हैं। इनमें ज्यादातर कोलकाता, हावड़ा और आसपास के इलाकों से आए वे परिवार हैं जो कई वर्षों से बंगाल में रह रहे थे।
मंगलवार दोपहर तक हाकीमपुर चेकपोस्ट पर फंसे लोगों की संख्या 500 से अधिक हो गई। ये लोग मुख्य रूप से सतखिरा और जशोर जिले के मूल निवासी हैं, जो कोलकाता के बिराटी, मध्यमग्राम, राजारहाट, न्यू टाउन और सॉल्टलेक जैसे इलाकों में घरेलू सहायक, मजदूर या छोटे कारोबारियों के रूप में काम कर रहे थे। कई महिलाओं और बच्चों सहित इस समूह ने BSF अधिकारियों को बताया कि SIR के तहत घर-घर जाकर दस्तावेजों की जांच से वे घबरा गए थे। एक फंसी हुई महिला ने कहा- मैं दस साल से किराए के मकान में रह रही थी और घरेलू काम करती थी। अब SIR की जांच से डर लग रहा है। मैं सतखिरा लौटना चाहती हूं। BSF के अनुसार, यह इस साल का सबसे बड़ा सिंगल समूह है। इससे पहले इस महीने के शुरुआत में ताराली बॉर्डर पर 14 बांग्लादेशियों को रोका गया था। फंसे लोगों के साथ कुछ दलाल भी थे, जो अवैध सीमा पार कराने का वादा करके आए थे, लेकिन भीड़ बढ़ते ही वे भाग निकले, जिससे स्थिति और जटिल हो गई।
साभार लाइव हिन्दुस्तान

