बागली का सीता वन क्षेत्र धार्मिक अस्तित्व समेटे हुए हैं फिर भी राम वन गमन खोज से दूर

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हाटपीपल्या से संजय प्रेम जोशी की रिपोर्ट
 विगत दिनों मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार ने आगामी दीप उत्सव पर राम वनगमन मार्ग को चिन्हित करते हुए रास्ते में आने वाले सभी धार्मिक अस्तित्व को स्वीकार करते हुए वहां पर बड़े भव्य आयोजन की तैयारी के निर्देश दिए हैं। इस निर्देश में देवास जिले के सीता वन परिक्षेत्र का कोई उल्लेख नहीं है। जबकि धार्मिक दृष्टि से वन परिक्षेत्र में बिखरे हुए धार्मिक अवशेषों को श्रंखलाबद्ध जोड़ा जाए तो राम का अस्तित्व इस क्षेत्र में भी रहा है। इसका प्रमुख प्रमाण पिपरी के निकट स्थित सदियों पुराना प्राचीन सीता मंदिर है। खुदाई के दौरान यहां पर अति प्राचीन धार्मिक अवशेष प्राप्त हुए हैं। यही स्थिति लव कुश आश्रम है इसके विषय में कहा गया कि राम भगवान के सीता माता के त्याग करने पर उन्होंने यहीं रहकर लव कुश को जन्म दिया था। माता सीता की आराध्य देवी 64 योगिनी भी यहां विराजित है। विश्व का एकमात्र मंदिर है यहां पर पूरा राम परिवार एक छत के नीचे है। यही समीप में सीता समाधि भी बताई जाती है जहां पर सीता ने अपनी इक्षा अनुसार भूमि समाधि ली थी। समीप में बहने वाली नदी को भी घोड़ा पछाड़ नदी कहते हैं मान्यता है कि अश्वमेध यज्ञ के दौरान भगवान राम द्वारा छोड़ा गया घोड़ा लव कुश योद्धाओं ने यहीं पर पकड़ा था जिसके अवशेष भी स्थानिय ग्रामीण बताते हैं। बागली के समीप जटायु की तपस्थली जटाशंकर भी अपना महत्व रखता है। और आगे जाने पर चवन ऋषि का आश्रम चंद्र केसर भी यहां पर धार्मिक अवशेष लिए विद्यमान है। पूर्व विधायक एवं हस्तशिल्प विकास निगम के अध्यक्ष रह चुके तेज सिंह सेंधव ने भी अपनी पुस्तक में क्षेत्र में बिक्री धार्मिक विरासत का जिक्र किया है। बोल बम कावड़ यात्रा के संयोजक गिरधर गुप्ता बताते हैं ।कि सीता मंदिर के आसपास पुरातात्विक खोज की जाए तो यह स्थान किसी न किसी रूप में राम वन गमन का साक्षी रहा है। भारत की संस्कृति विरासत सीता वन क्षेत्र में चारों ओर बीखरी  है। महाभारत कालीन कावड़िया पहाड़ पांडव कालीन शिव मंदिर जामवंत के समय का जाजम बढ़ आदि स्थान यहां पर अपना इतिहास लिए मौजूद है। सबसे बड़ा सबूत अखिलेश्वर मठ है। इसके विषय में कहा जाता है कि रामेश्वरम में भगवान शिव की स्थापना के लिए श्री राम के आदेश पर पवन दूध हनुमान धारा की स्थिति नर्मदा कुंड से शिवलिंग लेने आए तो कुछ देर विश्राम करने के लिए उक्त स्थान पर रुके थे यहां पर विराजित हनुमान प्रतिमा विश्व में एकमात्र हनुमान प्रतिमा है जिसके कंधे पर शिवलिंग है। इन सभी कड़ियों को जोड़ा जाए तो सीता वन क्षेत्र श्री राम वन गमन पथ का साक्षी रहा है। इस संबंध में बागली विधायक मुरली भंवरा से भी चर्चा की गई है ।उन्होंने आश्वासन दिया है कि वह पुरातत्व विभाग से धार्मिक दृष्टि से जुड़े इन क्षेत्रों को चिन्हित कर उनके इतिहास के विषय में जानकारी साझा करेंगे।

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