अमेठी में कांग्रेस के सिपाही से हार गईं स्मृति ईरानी
अमेठी। लोकसभा चुनाव के नतीजों ने चौंका दिया है। एनडीए के लिए 400 पार का नारा देने वाली बीजेपी बहुमत के आंकड़े को भी पार नहीं कर सकी है। हालांकि, एनडीए जरूर 290 के पार पहुंचता दिख रहा है। बीजेपी को सबसे बड़ा झटका उत्तर प्रदेश में लगा है, जहां पर पार्टी सपा से भी पिछड़ गई। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भी अमेठी में हार गईं। अमेठी लोकसभा सीट पर स्मृति ईरानी को एक लाख से ज्यादा वोटों से हार का सामना करना पड़ा है।
राहुल गांधी पिछले लोकसभा चुनाव में अमेठी में हार गए थे, जिसके बाद कांग्रेस ने इस बार रणनीति में बदलाव करते हुए आखिरी समय में पत्ते खोले थे। शुरुआत में कयास लग रहे थे कि राहुल गांधी सिर्फ केरल की वायनाड सीट से ही चुनाव लड़ेंगे, लेकिन आखिरी वक्त में उनके अमेठी और बहन प्रियंका गांधी के रायबरेली से मैदान में उतरने की अटकलें तेज हो गईं। हालांकि, नामांकन के आखिरी दिन कांग्रेस ने राहुल को रायबरेली और अमेठी से सोनिया गांधी का कामकाज देखने वाले किशोरी लाल शर्मा को टिकट दे दिया। कांग्रेस सूत्रों ने इसे एक रणनीति करार दिया था और आज यही प्लानिंग सफल हो गई।
जब अमेठी और रायबरेली के लिए कांग्रेस उम्मीदवारों का ऐलान किया गया, तो रायबरेली में तो कार्यकर्ता खुश थे, क्योंकि सोनिया गांधी के बाद उन्हें राहुल गांधी के तौर पर उम्मीदवार मिला था, लेकिन अमेठी में कांग्रेस वर्कर्स में अचानक मायूसी छा गई थी। केएल शर्मा के उम्मीदवार बनने की वजह से बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने भी मान लिया कि अब शायद ही स्मृति ईरानी के खिलाफ जीत हो सके, लेकिन समय बीतने के साथ-साथ माहौल बदला और खुद प्रियंका गांधी ने मोर्चा संभाले रखा। कई दिनों तक अमेठी के गांव-गांव जाकर सभाएं कीं और आखिरकार केएल शर्मा को जीत तक पहुंचा दिया। किशोरी लाल शर्मा को अमेठी से टिकट देने के पीछे कांग्रेस की रणनीति मानी जा रही थी। प्लानिंग यह थी कि यदि अमेठी में केएल शर्मा की जीत होती है तो यह बड़ी खबर होगी। लोगों के बीच चर्चाएं होंगी कि केंद्रीय मंत्री को कांग्रेस के एक आम कार्यकर्ता ने हरा दिया। वहीं, यदि केएल शर्मा स्मृति से हार भी जाते तो भी स्मृति ईरानी के लिए कोई बड़ी उपलब्धि नहीं होगी, क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव में उन्होंने राहुल गांधी जैसे दिग्गज नेता को हराया था। अब जब अमेठी के नतीजे आ गए हैं और केएल शर्मा की जीत हो गई है तो कांग्रेस की यही रणनीति काम करती दिख रही।
साभार लाइव हिन्दुस्तान