बुलडोजर ऐक्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला,  प्रशासन जज नहीं बन सकता

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नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात समेत देश के कई राज्यों में बुलडोजर ऐक्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि किसी भी परिवार के लिए अपना घर सपना होता है और सालों की मेहनत से बनता है। इसलिए किसी का घर सिर्फ इसलिए नहीं गिराया जा सकता कि वह किसी मामले में आरोपी या फिर दोषी है। बेंच ने कहा कि प्रशासन जज नहीं बन सकता और सिर्फ इसलिए किसी की प्रॉपर्टी नहीं ढहाई जा सकती कि संबंधित व्यक्ति आरोपी या दोषी है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि बदला लेने के लिए बुलडोजर ऐक्शन नहीं हो सकता।
अदालत ने कहा कि घर मूलभूत अधिकार है और उसे बिना नियम का पालन किए छीना नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि मनमाने ऐक्शन की बजाय नियम का पालन होना चाहिए। बेंच ने कहा, 'जनता का सरकार पर भरोसा इस बात पर निर्भर करता है कि वह लोगों के प्रति कितनी जवाबदेह है और उनके अधिकारों का कितना संरक्षण करती है। उनकी संपत्तियों का भी संरक्षण होना चाहिए।' अदालत ने कहा कि प्रशासन जज नहीं बन सकता और बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना बुलडोजर ऐक्शन जैसी चीजें नहीं की जा सकतीं। यही नहीं संविधान के आर्टिकल 142 का इस्तेमाल करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर ऐक्शन को लेकर देश भर के लिए गाइडलाइंस तय की हैं।
-अदालत ने कहा कि बिना लिखित नोटिस दिए किसी की संपत्ति नहीं ढहाई जा सकती। यह नोटिस कम से कम 15 दिन पहले मिलना चाहिए। इसे रजिस्टर्ड डाक से भेजा जाए और संबंधित इमारत पर भी चस्पा किया जाए। यह भी बताया जाए कि इमारत को क्यों गिराया जा रहा है। उसी नोटिस में यह भी बताना होगा कि इस ऐक्शन से बचाव के लिए क्या किया जा सकता है।
- किसी भी संपत्ति पर बुलडोजर ऐक्शन से पहले उसके मालिक को निजी तौर पर सुनवाई का मौका देना होगा। इसके अलावा अधिकारियों को आदेश के बारे में मौखिक तौर पर जानकारी देनी होगी। बुलडोजर ऐक्शन की वीडियोग्राफी भी होगा ताकि यह सबूत रहे कि कोर्ट की गाइडलाइंस का पालन हुआ भी है या नहीं।
साभार लाइव हिन्दुस्तान

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