स्वामी विवेकानंद – भारत की आत्मा को जगाने वाला युगपुरुष

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संपादकीय

स्वामी विवेकानंद न केवल एक संत थे, बल्कि वे भारत की चेतना को पुनः जागृत करने वाले आध्यात्मिक योद्धा भी थे। उन्होंने अपने पुण्य कार्यों के माध्यम से यह सिद्ध कर दिया कि धर्म केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं, बल्कि यह मानवता की सेवा में भी समर्पित होना चाहिए।

रामकृष्ण मिशन की स्थापना उनके सबसे महान कार्यों में से एक है, जो आज भी शिक्षा, चिकित्सा, आपदा प्रबंधन और सामाजिक सेवा के क्षेत्रों में कार्यरत है। उन्होंने युवाओं को आत्मबल, आत्मविश्वास और स्वाभिमान के साथ जीने की प्रेरणा दी। उनका प्रसिद्ध वाक्य "उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए" आज भी लाखों युवाओं के जीवन का पथप्रदर्शक बना हुआ है।

1893 में शिकागो के धर्म संसद में दिया गया उनका भाषण विश्व पटल पर भारत की गौरवशाली संस्कृति और सहिष्णुता की गूंज बन गया। उन्होंने दुनिया को बताया कि भारत मात्र एक देश नहीं, बल्कि एक विचार है – जो वसुधैव कुटुंबकम की भावना में विश्वास रखता है।

स्वामी विवेकानंद का जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चा धर्म वही है जो सेवा, त्याग और मानवता की रक्षा में समर्पित हो। आज जब समाज में तनाव, भेदभाव और दिशाहीनता व्याप्त है, तब स्वामीजी का दर्शन एक प्रकाश स्तंभ की तरह हमारा मार्गदर्शन करता है।

???? पुण्य कार्यों की प्रेरणा लेकर हमें भी अपने जीवन को समाज, राष्ट्र और मानवता के हित में लगाना चाहिए। यही उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

– संपादक
रणजीत टाइम्स

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