आत्मा का आनंद ही असली आनंद है
आनंद उस सुखमय अहसास का हिस्सा है। जो हम अपनी आत्मा की आंतरिक गहराई में महसूस करते हैं, जो कि शरीरिक या बाह्य विशेषताओं से अलग होता है। सहजयोग से आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करने के बाद साधक आत्मा के आनंद को महसूस कर सकता है l यहां कुछ मुख्य तत्व हैं जो आत्मा के आनंद को वर्णन करते हैं: 1.आत्मा की अनंतता: आत्मा अनंत है, अर्थात् इसका कोई अंत नहीं है। इसका मतलब है कि यह आनंद हमें हमारे जीवन के सभी पहलुओं में उपलब्ध हो सकता है, चाहे हम खुशी के समय में हों या दुख के समय में। 2. आत्मा का अंतरात्मा से जुड़ाव: आत्मा का आनंद व्यक्तिगत अंतरात्मा के साथ जुड़ा होता है। यह एक भावनात्मक और आध्यात्मिक ज्ञान की अपेक्षा बाह्य विषयों की प्राप्ति की तुलना में अधिक गहरा होता है। 3.शांति और संतोष: आत्मा के आनंद के साथ शांति और संतोष भी आता है। यह हमारे चिंतन को शांति और स्थिरता की ओर ले जाता है, जिससे हम जीवन के हर पल को स्वागत कर सकते हैं, चाहे वह सुख का हो या दुख का। 4.आत्मा की अद्वितीयता: हर आत्मा अद्वितीय होता है और उसका आनंद भी उसके अद्वितीय धार्मिक और आत्मिक अनुभवों से आता है। यह हमें हमारे अद्वितीय स्वरूप की पहचान कराता है और असली आनंद का स्रोत बनता है।
इस दृष्टिकोण से, आत्मा का आनंद ही असली आनंद होता है क्योंकि यह हमारे आंतरिक अस्तित्व के साथ जुड़ा होता है और हमें शांति और संतोष की अनुभूति प्रदान करता है।
परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी साधकों को बताती हैं कि यह जानना होगा कि हम शांति हैं, क्योंकि आत्मा शांति का स्रोत है। एक बार जब आप आत्मा बन जाते हैं, तो आत्मा आपके ध्यान में आ जाती है और आप एक बहुत ही शांत व्यक्ति बन जाते हैं। यह ऐसा है जैसे आप परिधि पर हैं, जैसे पहिये पर यदि आप परिधि पर हैं तो आप हर समय गति कर रहे हैं, लेकिन पहिये का केंद्र बिल्कुल शांत है। तो, जैसे कि आप अपने केंद्र पर कूदते हैं, वहां से आप पहिए की सारी गति देखेंगे, लेकिन आप केंद्र में हैं और आप परेशान नहीं हैं। आप समस्याओं को भी बहुत आसानी से संभल सकते हैं।
सहजयोग से निःशुल्क आत्मसाक्षात्कार का अनुभव प्राप्त होता है। अधिक जानकारी हेतु आप हमारे हेल्पलाइन नंबर 18002700800 पर कॉल कर सकते हैं।

