"महाकाल की महिमा"
भावपूर्ण कविता — श्री महाकाल पर
✍️ गोपल गावंडे
जब संकट घनेरा हो, और अंधकार गहराए,
जब मन डगमगाने लगे, और कोई राह न सुझाए।
तब बस एक नाम उभरता है काल के पार से –
जय महाकाल की गूंज उठती है हर द्वार से।
त्रिनेत्रधारी, मृत्यु के भी स्वामी,
जिनके नाम से कांपे समय की धारा भी।
जो न किसी समय के बंधन में हैं,
न ही किसी नियम की परिभाषा में हैं।
उज्जैन की नगरी में जिनका वास है,
भक्तों की हर पुकार का जो पास है।
भस्म से सजे, डमरू जिनका वाद्य,
रुद्र रूप में भी हैं वो करुणा के साध्य।
महाकाल वो शक्ति हैं, जो हर भय को हरते,
हर जन्म-मरण के चक्र को पल भर में तरते।
न मृत्यु का डर, न जीवन की बाधा,
जिसके चरणों में सारा जगत साधा।
वो महादेव हैं, अनादि-अनंत,
जिनका ध्यान कर घटता है जीवन का संताप।
जो कह दे ‘शिव है साथ’,
उसका क्या बिगाड़ेगा काल का हाथ!
– आपका गोपाल गावंडे
मुख्य संपादक, रणजीत टाइम्स
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