सूक्ष्म तंत्र की क्रियाशीलता में ही सर्वोच्च आनंद की अनुभूति होती है
परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी ने अपने प्रवचन में कई बार इस सत्यता को अभिव्यक्त किया है कि मानव जीवन की आंतरिक स्थिति के लिए सूक्ष्म शरीर व हमारी आंतरिक तंत्र प्रणाली जिम्मेदार है। चिकित्सा विज्ञान में शरीर की नाड़ियों और रक्त नलिकाओं को जिसे प्लेक्सेस कहते हैं और जो विभिन्न अंगों के कार्यान्वयन पर नियंत्रण रखता है, को पूर्णतया स्वीकार करता है व इस आधार पर व्यक्ति की चिकित्सा भी करता है।
परंतु इस तथ्य का कोई ठोस स्पष्टीकरण चिकित्सा विज्ञान के पास उपलब्ध नहीं है कि एक छोटे से मिथ्या तर्क पर भी मानव तनावग्रस्त क्यों हो जाता है। एक ही परिस्थिति अलग अलग लोगों को अलग अलग तरह से कैसे प्रभावित करती है? यह ऐसे प्रश्न हैं जो हमारे मन में भी कुलबुलाते रहते हैं। यदि हमने किसी घटना को गंभीरता से नहीं लिया, पर समाधान पाने पर ज्यादा ध्यान दिया तो हम पर उस घटना का दुष्प्रभाव अपेक्षाकृत कम होगा। पर ऐसा तभी संभव है जब हमारे अंतर का सूक्ष्म तंत्र क्रियाशील हो जाये।
इस पूरे ब्रम्हांड में सूक्ष्म शक्ति क्रियाशील है। इस सूक्ष्म शरीर के सूक्ष्म प्रवाह से ही धरती में बीज का अंकुरण होता है, फूल खिलते हैं, फल पकते हैं, पेड़ पौधे अपनी निश्चित परिधि में ही बढ़ते हैं और सारे पशु पक्षी प्रकृति द्वारा निर्धारित किये गये नियम का पालन करते हुये अपना जीवन यापन करते हैं। दरअसल हम यह सोचना ही नहीं चाहते हैं कि प्रकृति कौन सी शक्ति से जुड़कर कार्य करती है। यह दैवी प्रेम की व्यापक शक्ति है और सहज योग के माध्यम से मानव इस दैवीय प्रेम को हमारे अंदर के यंत्रों को जागृति (आत्मसाक्षात्कार) के उपरांत अनुभव कर पाता है। अंदर की जागृति या आत्मसाक्षात्कार यानि मुख्य शक्ति के प्रवाह से जुड़ना है। मनुष्य अपनी क्षमता, अपनी सुंदरता को पहचान ही नहीं पाता है क्योंकि अंदर की शक्ति का उसे आभास ही नहीं है।
यह सूक्ष्म शक्ति कुंडलिनी की शक्ति है जो माता के गर्भ में आने के समय से ही हमारे अंदर स्थित है। इसी शक्ति से जुड़ने का योग है सहज योग। हमारी आंतरिक शक्ति को पूर्णतया समझने के लिए सहज योग से जुड़कर साधना हेतु मन बनाना होगा। हमारे सूक्ष्म शरीर के सातों चक्र और तीनों नाड़ियाँ हमारे तन, मन को नियंत्रित करते हैं, फलस्वरूप समस्याओं का समाधान सहजता से होने लगता है। सहज योगी परिवार, समाज और किसी प्रकार के प्रलोभन में लिप्त नहीं होते और जीवन का भरपूर आनंद उठाते हैं। सहजयोग का अनुभव हर आनंद से सर्वोपरि है, बस हममें गहनता पाने की चाह होनी चाहिए और होनी चाहिए इस योग को पाने की शुद्ध इच्छा।
सहजयोग ध्यान केंद्र की जानकारी हेतु टोल फ्री नंबर 1800 2700 800 से प्राप्त कर सकते हैं। सहज योग पूर्णतया निशुल्क है।

