आत्मतत्व का ज्ञान ही शाश्वत व सनातन है

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सहजयोग ध्यान द्वारा विश्व भर में अनेकानेक लोगों ने मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य को प्राप्त किया है। सहजयोग पद्धति द्वारा लोगों के समाजिक व आध्यात्मिक उत्थान के भी अनेक उदाहरण उपलब्ध हैं ।
 प्रश्न उठता है सहजयोग क्या है?
सहजयोग श्री माताजी निर्मला देवी जी द्वारा प्रति- स्थापित एक सहज ध्यान पद्धति है जिसमें कुण्डलिनी जागरण द्वारा आत्मसाक्षात्कार की प्राप्ति होती है। तत्पश्चात् नियमित ध्यान- धारणा द्वारा मानव शरीर में स्थिति चक्रों व नाड़ियों को संतुलन प्राप्त होता है। यही संतुलन हमें अर्थ अन्तर्परिवर्तन की ओर अग्रसर करता है। शनैः शनैः बिना किसी बाहरी दबाव व प्रेरणा के 'हमारे विचारों, जीवन मूल्यों, में परिवर्तन आने लगता है, सही  व गलत स्वयं ही सहज में हमारे समक्ष प्रकट होने लग‌ता है। जैसे-जैसे हम सहजयोग में दृढ़ होते जाते हैं सारे प्रेम व आनन्द के मायने बदलते जाते हैं। माया जो कि जीवन में अभाव का दूसरा नाम है हमें प्रभावित नहीं कर पाती। आत्मा का ज्ञान  ज्यों ही हमारी मध्य नाड़ी तंत्र को प्रकाशित करता है व हमारी शाश्वत शक्ति, कुण्डलिनी ब्रह्मरंध्र का भेदन करती है तो हमारा संबंध चैतन्य के रूप में प्रवाहित परम पिता की ऊर्जा से हो जाता है। अतः सहजयोग ऊर्जा का विज्ञान है। सहजयोग आत्मा के परमात्मा से लय होने की प्रक्रिया है। शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य की प्राप्ति इस प्रक्रिया का सह उत्पाद है।
    आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करने की कोई आयु नहीं होती और इसमें सांसारिक जीवन का त्याग नहीं होता है।  यदि सहजयोग का परिचय बालपन में ही दिया जाए तो बच्चों का चहुंमुखी विकास सहज ही में हो जाता है। वे एकाग्रता, अनुशासन, तीव्र स्मरणशक्ति, व शैक्षणिक व व्यवसायिक सफलता को सहज ही में प्राप्त करने योग्य बन जाते हैं। किसी भी परिस्थिति में अनैतिकता उन्हें छू भी नहीं पाती  क्योंकि स्वयं पावित्र्य के प्रतीक श्री गणेश आत्मसाक्षात्कार के पश्चात् उनके भीतर जागृत हो जाते हैं।                                इस प्रकार सहजयोग प्रत्येक आयु वर्ग, प्रत्येक धर्म तथा महिला व पुरुष दोनों के लिए परमशक्ति से एकाकारिता का अनमोल माध्यम है। सहजयोग पूर्णतया निःशुल्क है।
सहजयोग से संबंधित  जानकारी के लिए  टोल फ्री नंबर  18002700800 पर कॉल करें।

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