सहजयोग ध्यान का अभ्यास सरलता से सत्वगुण को प्रभावी बना देता है

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एक यात्री जंगल में जा रहा था, तीन चोरों ने उसे घेर कर लूट लिया। एक ने उसे मार देना चाहा, किंतु दूसरे ने उसे बचा लिया पर उसे रस्सी से बांध दिया, और तीनों अपने रास्ते चले गए। फिर तीसरा चोर लौट आया और उसने मनुष्य को बंधन से मुक्त करके जाने का मार्ग दिखा दिया। यात्री ने उसे धन्यवाद देकर अपने घर चलने की प्रार्थना की किंतु उसने अपनी सीमा पार करने में असमर्थता व्यक्त की और वहां से चला गया। कहानी बड़ी साधारण है परंतु इससे  दर्शन की शिक्षा मिलती है। प्रकृति के भी तीन गुण है सत्व रज और तम। सृष्टि रचना के पूर्व प्रकृति के तीनों गुणों की समान एवं शांत अवस्था होती है तथा गुणों की विषमता द्वारा सृष्टि की रचना होती है समस्त सृष्टि त्रिगुणमयी है। मनुष्य की प्रकृति भी त्रिगुणात्मक अर्थात रज, तम और सत्व है। तीनों गुणों में सत्व गुण सर्वोत्कृष्ट है यह निर्मल होने के कारण प्रकाश करने वाला है एवं मनुष्य को सुख का अनुभव कराता है तथा ज्ञान और वैराग्य उत्पन्न करता है। सत्व गुण के मनुष्य ऊर्ध्वगामी होते हैं।सत्व गुण, रजोगुण और तमोगुण को दबाकर बढ़ जाता है तथा मनुष्य को नैतिकता में स्थिर करके आध्यात्मिकता की ओर प्रेरित करता है। रजोगुण तृष्णा से उत्पन्न होता है तथा तृष्णा को बढ़ाता है इसका परस्पर संबंध है। रजोगुण मनुष्य को कर्म में प्रवृत्त करता है तथा मनुष्य को चंचल बना देता है। रजोगुण जब सत्व गुण और तमोगुण को दबाकर बढ़ जाता है तब मनुष्य को लोभ, स्वार्थ बुद्धि और सांसारिक चेष्टा में लगा देता है। रजोगुण का फल दुख और अशांति है। रजोगुण के मनुष्य मध्यम श्रेणी के होते हैं। तमोगुण निकृष्ट होता है तथा अज्ञान को बढ़ाता है। प्रमाद और आलस्य को बढ़ाकर मनुष्य को नष्ट करता है। तमोगुण जब सत्व गुण और रजोगुण को दबाकर बढ़ जाता है तब यह मोह उत्पन्न करता है। तमोगुण मनुष्य अधोगामी होता है।
 इस कहानी में यह संसार एक जंगल है। वह यात्री मनुष्य और वह तीनों चोर  तीन गुण- सत्व, रज, तम है। तमोगुण उस मनुष्य को मारना चाहता है किंतु रजोगुण जो तृष्णा से उत्पन्न होता है वह उसे लोभ आदि से बांध देता है सत्व गुण मनुष्य को निर्मल बनाकर सुख और शांति का अनुभव करा देता है और मनुष्य को मुक्त करके ईश्वर प्राप्ति का मार्ग बता देता है, किंतु वह स्वयं ब्रह्म तक नहीं पहुंच सकता क्योंकि मनुष्य को सत्व गुण से परे जाकर उच्च अवस्था को प्राप्त करने के लिए अर्थात ब्रह्म तक पहुंचने के लिए साधना रत अर्थात  ध्यान मग्न होना पड़ता है। यहीं से आरंभ होता है सहज योग का सरल मार्गदर्शन। जो बताता है कि एक सत्व गुण की प्रवृत्ति रखने वाला मनुष्य कितनी सरलता से घर बैठे ईश्वर के अनुभव जन्य ज्ञान को पा सकता है वह भी बिना एक रुपया खर्च किए। अपने नजदीकी सहजयोग ध्यान केंद्र की जानकारी हेतु टोल फ्री नंबर 1800 2700 800 पर संपर्क कर सकते हैं।

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