कष्टों का आध्यात्मिक हल सत्य की ओर एक गहन यात्रा है
कष्टों का आध्यात्मिक हल सत्य की ओर एक गहरी यात्रा है, जो हमें अपनी आंतरिक शक्ति और शांति खोजने में मदद करता है। इस आध्यात्मिक यात्रा में जीवन के दुखों को स्वीकार करना और उनसे सीख लेना, साथ ही जीवन में सकारात्मकता और आशा बनाए रखना शामिल है।
हम सब ईश्वर के अंश हैं इस बात का बोध होना बहुत आवश्यक है। इसका बोध मात्र विश्वास करने से नहीं होता बल्कि उस अनुभूति को पाने से होता है जो सहज योग ध्यान से जुड़ने के बाद चैतन्य रुप में हमारे हाथों से प्रवाहित होता है। अपनी आत्मा को जानना और परमात्मा से जुड़ना एक महत्वपूर्ण कदम है। ध्यान योग की साधना जैसे अभ्यास इस दिशा में हमारी मदद करते हैं। ईश्वर अपनी हर कृति के अंदर अपनी छाप छोड़ता है। इंसान ईश्वर की सबसे सुंदर कृति है और ईश्वर की छाप है हमारे अंदर, हमारे रीढ़ की हड्डी के नीचे त्रिकोणाकार अस्थि में स्थित कुंडलिनी शक्ति। इस शक्ति के जागरण हेतु सालों तक साधक हठ योग व कठिन तपस्या करते हैं। परंतु परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी ने सहज योग के माध्यम से बड़ी सरलता से कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने की विधि बताई है। सहज योग में सामुहिक ध्यान धारणा का विशेष महत्व है क्योंकि सहज योग माध्यम से एक साथ हजारों लोगों को एक साथ आत्मसाक्षात्कार दिया जा सकता है। आज हमारी परम पूज्य श्री माताजी साकार रूप में हमारे साथ नहीं है, पर उनकी बताई गई विधि से ध्यान धारणा द्वारा लाखों साधक इतने परिपक्व हो गये हैं कि वे माँ के एक इन्सट्रुमेंट बन हजारों लोगों को एक साथ आत्मसाक्षात्कार दे सकते हैं।
आत्मसाक्षात्कार प्राप्त होते ही हमारी मानसिक, बौद्धिक और आत्मिक स्थिति में बदलाव आ जाता है। इस आंतरिक परिवर्तन से हम वर्तमान में जीना सीख लेते हैं और पूर्व की घटनायें हम पर हावी नहीं होती। फलस्वरूप हमारा चित्त कष्ट पर नहीं होता बल्कि हम हमारे सामने आई समस्या का हल ढूंढने को प्रयासरत हो जाते हैं। यह स्थिति ही जीवन जीने की कला है। 28 अप्रैल 1991 के अपने एक प्रवचन में परमपूज्य श्री माताजी सहज योग के माध्यम से आनंद प्राप्त करने के संबंध में यह कहते हैं कि,
"जब आप पूर्ण श्रद्धा और विवेक के साथ अपना हाथ गुरु के हाथ में सौंप देते हैं, तब आप स्वयं कुछ नहीं करते। आप केवल साक्षी भाव से सबको देखते हैं, सबको अनुभव करते हैं, और भीतर गहन आनंद का अनुभव करते हैं। चाहे आप क्रियाशील रहें या न रहें, इसका कोई विशेष महत्व नहीं, क्योंकि आपकी स्थिति पूरी तरह आनंद में स्थित हो जाती है। यही वह अवस्था है जिसे हमें प्राप्त करना है — और जो हमारे वास्तविक अस्तित्व का सहज स्वभाव बन जाना चाहिए।"
सहज योग को गहनता से समझने,जुड़ने और आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करने हेतु नज़दीकी सहजयोग ध्यान केंद्र की जानकारी टोल फ्री नंबर 1800 2700 800 या वेबसाइट www.sahajayoga.org.in से प्राप्त कर सकते हैं। सहज योग पूर्णतया निशुल्क है।