भगवान नरसिंह की साढे सात किलो वजनी पाषाण प्रतिमा भंमोरी नदी में ढोल ग्यारस पर्व के अवसर पर तीन बार तेराई  जाएगी

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हाटपिपल्या से संजय प्रेम जोशी की रिपोर्ट निप्र
भगवान नरसिंह की साढे सात किलो वजनी पाषाण प्रतिमा दिनांक 3 सितंबर को भंमोरी नदी में ढोल ग्यारस पर्व के अवसर पर तीन बार तेराई  जाएगी। करीब 125 साल पुरानी यहां परंपरा वर्षों से चली आ रही है। भगवान नरसिंह की पाषाण प्रतिमा भमोरी नदी में तेराई  जाने के पीछे कई कई धारणाएं हैं एवं नगर में भगवान नरसिंह के प्रति बड़ी श्रद्धा एवं भाव एवं विश्वास आज भी नगर की जनता में जागृत है । ढोल ग्यारस पर्व पर भगवान नरसिंह की पाषाण प्रतिमा को डोल  में विराजित कर अखाड़े एवं गाजे बाजे के साथ विशाल चलसमारोह के साथ मंदिर से लेकर नरसिंह घाट तक विशाल जुलूस निकाला जाता है जुलूस में पुलिस बैंड एवं पुलिस सलामी के बाद विशाल जुलूस निकाला जाता है। भगवान नरसिंह की पाषाण प्रतिमा भमोरी नदी में तीन बार तेराई जाने के पीछे धारणा है कि अगर एक बार प्रतिमा तेरी तो वर्ष कठिनाई भरा होगा दो बार तेरी तो थोड़ा अच्छा रहेगा तीन बार तेरी तो पूरा वर्ष बहुत अच्छा रहेगा नगर में सुख शांति समृद्धि रहेगी। ऐसी नगर के लोगों की धारणा है। साथ ही इसके पीछे कई घटनाएं भी भगवान नरसिंह की पाषाण प्रतिमा भमोरी नदी में तेराई जाने की जुड़ी हुई है। नगर के नागरिक कहते हैं कि कई वर्ष पहले भगवान नरसिंह की पाषाण प्रतिमा  को बवलिया मार्ग पर भंमोरी नदी में तेराया जाता था । लेकिन एक बार भगवान नरसिंह की पाषाण प्रतिमा को तैराते वक्त अचानक गायब हो गई प्रतिमा मंदिर के पुजारी द्वारा प्रतिमा प्राप्ति के लिए उपवास तप किया एक समय उनको सपने में भगवान नरसिंह ने दर्शन देकर बताया कि भगवान नरसिंह के पाषाण प्रतिमा बवलिया शिंदला नदी में तैर रही है। तब मंदिर के पुजारी नगर के लोग गाजे बाजे के साथ मैं जाकर बवलिया शिंदला नदी से भगवान नरसिंह की पाषाण प्रतिमा की पूजा अर्चना कर वापस लेकर आते हैं। और तब से आज तक नरसिंह घाट पर भमोरी नदी में भगवान नरसिंह के पाषाण प्रतिमा को तीन बार तेराया जा रहा है। एक और घटना है भगवान नरसिंह की पाषाण प्रतिमा अचानक चार भागों में बट गई थी तब नगर के सोनी परिवार द्वारा भगवान नरसिंह की पाषाण प्रतिमा को चांदी के तार से जोड़ा गया था। लेकिन कुछ समय पश्चात ही अचानक चमत्कार हुआ चांदी के तार अपने आप टूट गए और भगवान नरसिंह की पाषाण प्रतिमा अपने पुराने स्वरूप में वापस आ गई। ढोल ग्यारस पर्व पर भगवान नरसिंह के पाषाण प्रतिमा को तैरते हुए देखने के लिए नरसिंह घाट पर हजारों की संख्या में जन समुदाय एकत्रित होता है।
नगर परिषद एवं प्रशासन द्वारा इस आयोजन की पूरी व्यवस्था अपने हाथों में रहती है। डोल ग्यारस पर्व को गौरव दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। जिसकी तैयारी को लेकर नरसिंह घाट पर साफ सफाई एवं रंग रोगन का कार्य नगर परिषद द्वारा किया जा रहा है।
नगर परिषद अध्यक्ष चंद्रकांता अरुण राठौर द्वारा भगवान नरसिंह की पाषाण प्रतिमा तेराई है जाने को लेकर विशेष तैयारी की जाती है उनके अध्यक्ष कार्यकाल में  डोल ग्यारस पर्व को गौरव दिवस में मनाया जा रहा है। साथ ही उनके अध्यक्ष कार्यकाल में पुलिस बैंड एवं भगवान नरसिंह को सलामी देने की परंपरा शुरू की गई। जो लगातार 3 वर्षो से जारी है और इस वर्ष भी नगर परिषद द्वारा भव्य आयोजन के साथ पुलिस बैंड एवं सलामी के साथ में सवारी निकाली जाएगी।

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