सरभंग मुनि आश्रम में भगवान की लीलाओं के श्रवण और भव्य भंडारे के साथ हुआ कथा का समापन
महापौर के समर्थन के साथ सरभंगा टाइगर रिजर्व मुहिम को मिला जन-जन का बल
इस अविस्मरणीय पल में साथ देने वाले जन - जन का आजीवन ऋणी रहूंगा - आशुतोष द्विवेदी
चित्रकूट की पवित्र सरभंगा तपोभूमि में विश्व पर्यावरण दिवस से शुरू हुई श्रीमद् भागवत कथा 12 जून 2025 को भव्य भंडारे के साथ सम्पन्न हुई। आशुतोष द्विवेदी सेवा संस्थान के तत्वावधान में आयोजित इस संगीतमय कथा ने भक्ति, पर्यावरण प्रेम और सरभंगा को टाइगर रिजर्व बनाने की मुहिम को एक अनूठा मंच प्रदान किया। भगवान श्रीराम और सरभंग मुनि की इस तपोभूमि पर हजारों भक्तों ने भक्ति के रस में गोता लगाया, वहीं सतना नगर निगम के महापौर योगेश ताम्रकार सहित जन-समुदाय ने इस पर्यावरणीय आंदोलन को जोरदार समर्थन दिया।
भक्ति और प्रकृति का रसमय संगम
कथा वाचक आचार्य डॉ. विपिन कृष्ण महाराज ने सात दिनों तक भक्तों को भगवान श्रीकृष्ण और श्रीराम की लीलाओं से सराबोर किया। ध्रुव चरित्र, प्रह्लाद, गजेंद्र मोक्ष, अजमिल प्रसंग, राम जन्म, कृष्ण जन्मोत्सव, माखन चोरी, कालिया नाग मर्दन और गोवर्धन पूजा की कथाओं ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। आचार्य जी ने गोवर्धन पूजा को हरियाली का प्रतीक बताते हुए कहा, “प्रकृति की रक्षा ही सच्ची भक्ति है। सरभंग मुनि की तपोभूमि पर यह कथा पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती है।” भक्ति भजनों और मंत्रोच्चार से गूंजता कथा स्थल भक्तों के लिए आध्यात्मिक और पर्यावरणीय जागरूकता का अनूठा संगम बन गया।
टाइगर रिजर्व की मुहिम को जन-आंदोलन का रूप
आशुतोष द्विवेदी सेवा संस्थान ने इस आयोजन को न केवल आध्यात्मिक उत्सव बनाया, बल्कि सरभंगा को टाइगर रिजर्व घोषित करने की मांग को जन-आंदोलन का रूप दिया।आशुतोष द्विवेदी ने उत्साह के साथ कहा, “यह पवित्र भूमि भगवान राम और सरभंग मुनि की तपस्या से पवित्र है। इसे टाइगर रिजर्व बनाकर हम प्रकृति की रक्षा करेंगे और विश्व पटल पर सरभंगा को नई पहचान देंगे।” स्थानीय लोग और पर्यावरण प्रेमी इस मांग के लिए एकजुट होकर खड़े हैं। उनका मानना है कि सरभंगा का जंगल बाघों का आश्रय बनने के साथ-साथ पर्यावरण संतुलन और स्थानीय आजीविका का आधार बनेगा।
भव्य भंडारा और महापौर का जोरदार समर्थन
कथा के समापन पर 12 जून 2025 को आयोजित भव्य भंडारे में सरभंगा क्षेत्र के गांवों से आए हजारों भक्तों ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया। सतना नगर निगम के महापौर योगेश ताम्रकार ने प्रसाद ग्रहण कर आचार्य डॉ. विपिन कृष्ण महाराज का आशीर्वाद लिया। आशुतोष द्विवेदी ने महापौर को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।महापौर ताम्रकार ने सरभंगा टाइगर रिजर्व मुहिम को पूर्ण समर्थन देते हुए कहा, “यह अभ्यारण्य प्रकृति और बाघों के संरक्षण के साथ चित्रकूट को विश्व पटल पर नया कीर्तिमान देगा। मैं सरकार और मुख्यमंत्री से इस मुहिम के लिए निरंतर चर्चा में हूं। जल्द ही सरभंगा टाइगर रिजर्व हकीकत बनेगा।” उन्होंने इस आयोजन को क्षेत्र के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय उत्थान के लिए मील का पत्थर बताया।
एक नई क्रांति की शुरुआत
स्थानीय समुदाय और पर्यावरण प्रेमियों ने इस आयोजन को भक्ति और प्रकृति के मिलन का प्रतीक माना। सरभंगा की हरियाली और प्राकृतिक सौंदर्य के बीच भगवान की लीलाओं का रसपान भक्तों के लिए अविस्मरणीय अनुभव बन गया। यह कथा न केवल आत्मिक शुद्धि का माध्यम बनी, बल्कि सरभंगा को टाइगर रिजर्व बनाने की मुहिम को जन-जन तक पहुंचाने में सफल रही।आशुतोष द्विवेदी सेवा संस्थान की यह पहल सरभंगा की पवित्रता को संरक्षित करने और चित्रकूट को पर्यावरणीय व आध्यात्मिक पर्यटन के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने का सशक्त संकल्प है। यह आयोजन न केवल एक कथा का समापन था, बल्कि एक बड़े मिशन की शुरुआत है, जो प्रकृति, भक्ति और समृद्धि का त्रिवेणी संगम बनकर उभरा है।