तालिबान को मिला रूस का साथ

  • Share on :

अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच तुर्की में हो रही शांति वार्ता पर पाकिस्तानी हमलों का साया पड़ गया है। काबुल और इस्लामाबाद के संबंध भी नाजुक मोड़ पर आ गए हैं। एक तरफ दोनों पक्षों ने ताजा शांति वार्ता शुरू की, वहीं दूसरी ओर गुरुवार को अफगान-पाक सीमा पर स्पिन बोल्डक कस्बे के पास पाकिस्तान ने गोलीबारी को भड़काया। आपको बता दें कि दोनों पक्षों ने 19 अक्टूबर को दोहा में संघर्षविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। हालांकि, पिछले हफ्ते इस्तांबुल में हुई दूसरे दौर की बातचीत बिना किसी दीर्घकालिक समझौते के समाप्त हो गई थी। इसी कारण तीसरे दौर की वार्ता आवश्यक हो गई।
अफगान मामलों के विशेषज्ञों के अनुसार, काबुल के प्रति पाकिस्तान की आक्रामक नीतियों के कारण दोनों के संबंध तनावपूर्ण और उदासीन बने रहने की आशंका है। जैसे ही शांति वार्ता शुरू हुई अफगानिस्तान में तालिबान शासन को रूस से समर्थन मिला। गुरुवार को, रूसी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (सेक्रेटरी ऑफ द कंट्रीज सिक्योरिटी काउंसिल) सर्गेई शोइगु ने सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन (CSTO) और स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रमंडल (CIS) की संयुक्त बैठक के दौरान अफगानिस्तान में "महत्वपूर्ण और सकारात्मक विकास" की बात की। शोइगु ने अफगानिस्तान की सुरक्षा स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए भी अफगानिस्तान को क्षेत्रीय आर्थिक ढांचों में फिर से शामिल करने के महत्व पर जोर दिया।
इसी बैठक को संबोधित करते हुए, CSTO के महासचिव इमानगाली तस्मागाम्बेटोव ने अफगानिस्तान और ताजिकिस्तान के बीच सीमा सुरक्षा को मजबूत करने वाले कार्यक्रम को लागू करने पर बल दिया। उन्होंने उल्लेख किया कि अफगानिस्तान की स्थिरता और विकास उसके पड़ोसी देशों, विशेष रूप से CSTO सदस्य देशों के हितों के अनुरूप है।
इस बीच, भारतीय राजनयिक मिशन के प्रमुख ने इस सप्ताह अफगानिस्तान के कृषि मंत्री से मुलाकात की। इस बैठक का उद्देश्य कृषि क्षेत्र और अनुसंधान में क्षमता निर्माण के साथ काबुल की सहायता करना था।
साभार लाइव हिन्दुस्तान

Latest News

Everyday news at your fingertips Try Ranjeet Times E-Paper