आत्मसाक्षात्कार से ही शाश्वत सत्य की वास्तविक पहचान संभव है
सहजयोग संस्थापिका श्री माताजी निर्मला देवी जी ने आत्मिक उन्नति के माध्यम से व्यक्ति के संपूर्ण विकास व उन्नति का मार्ग प्रशस्त किया। सहजयोग ध्यान चित्त को वर्तमान में प्रतिष्ठित कर परमात्मा से एकाकारिता को प्राप्त करना है। बालक जब इस संसार में जन्म लेता है तो उसका सीधा संबंध परमात्मा से होता है उसका मन व उसकी बुद्धि अबोध होती है क्योंकि वह इस भौतिक संसार से अनभिज्ञ होता है। जैसे जैसे समय व्यतीत होता है इस संसार में व्याप्त माया की पकड़ उसकी बुद्धि पर हावी होने लगती है और वह संसार में व्याप्त साधनों में सुख व प्रसन्नता की खोज करने लगता है। एक इच्छा उत्पन्न होती है फिर दूसरी, तीसरी और फिर यह समाप्त न होने वाला सिलसिला हो जाता है। यही मिथ्या इच्छाएं हमारे सुख दुख का निर्धारण करने लगती है परंतु कोई भी इच्छा हमें संपूर्णता की ओर नहीं ले जाती हम सदैव अतृप्त रहते हैं, क्योंकि हमारी इच्छाएं मिथ्या अर्थात् असत्य से जुड़ी होती हैं जो हमारे चित्त को भ्रमित करती रहती हैं। श्री माताजी ने अमृतवाणी में इसके बारे में इस प्रकार वर्णित किया है कि,
" बड़े आश्चर्य की बात है कि मानव जितना कुछ मिथ्या है, उसे कितने जोर से पकड़ लेता है और सत्य को पकड़ने में कितना कतराता है, जितनी जल्दी मिथ्या हमारे अंदर से मिटता जाता है उतने ही जल्दी हम लोग चित्त को हल्का कर लेते हैं, सहजयोग में यही चित्त जो है, परमेश्वर से जाके भिड़ता है, यही चित्त उस सर्वव्यापी परमेश्वर के प्रकाश में जाके डूब जाता है, यही मानव का चित्त जो कि हम प्रकृति का एक रूप समझते हैं, प्रकृति का ये जो फूल है वो परमात्मा के प्रेम में विसर्जित हो जाता है, लेकिन ये चित्त कितना बोझिल है, कितना अव्यवस्थित है कभी-कभी देखते ही बनता है, सहजयोगी की पहचान एक ही है कि आप कितने आनंद में उतरे हैं, आप कितने शान्ति में उतरे हैं, आप कितने प्रेम में उतरे हैं, मिथ्या पे रहने वाले लोग सहजयोग को नहीं प्राप्त कर सकते हैं।"
"जैसे राखहुं तैसे ही रहूँ", सहजयोगी अगर इतना करलें कि जैसे भी रखो मंजूर है हमें, हरेक चीज में, हर परिस्थिति में आनंद आ सकता है। (21 दिसम्बर 1975)
सहजयोग में कुंडलिनी जागरण द्वारा आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करने पर हमें अपने चित्त पर नियंत्रण की सहजता प्राप्त हो जाती है और सत्य की पहचान स्वत: ही होने लगती है।
सहजयोग से संबंधित जानकारी निम्न साधनों से प्राप्त कर सकते हैं। यह पूर्णतया निशुल्क है। टोल फ्री नं – 1800 2700 800 बेवसाइट - sahajayoga.org.in